Table of Contents
Orthographic Projection
परिचय (Introduction)
Orthographic Projection: ऑर्थोग्राफिक (ऑर्थो + ग्राफिक) एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ है सही + वर्णन अर्थात् रेखांकित चित्रों के द्वारा किसी वस्तु की आकृति का सही-वर्णन दर्शाना। मशीन ड्राइंग में इसका एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। जब किसी वस्तु के किनारों से लम्बवत् रेखाएँ एक-दूसरे के समानांतर और चित्रपट पर लम्बवत् डाली जाए तब उस प्रक्षेप को ऑर्थोग्राफिक या लम्बकोणीय या बहु-दृशीय प्रक्षेप कहते हैं। ऑर्थोग्राफिक प्रक्षेप द्वारा वस्तु का आकार तथा सभी प्रकार के साइजों का पूर्ण ज्ञान प्राप्त हो जाता है। इस प्रक्षेप से वस्तु की दो अथवा तीन अलग-अलग ड्राइंग प्राप्त होती है तथा प्रत्येक ड्राइंग से दो परिमाण प्राप्त हो जाते हैं इसलिए ऑर्थोग्राफिक प्रक्षेप द्वारा तीन तलों पर उसके दृश्य बनाये जाते हैं।
ऑर्थोग्राफिक प्रक्षेप दो प्रकार से बनाए जा सकते हैं :
(i) प्रथम कोणीय प्रक्षेप (First Angle Projection)
(ii) तृतीय कोणीय प्रक्षेप (Third Angle Projection)
नोट : दृश्यों के सही रेखांकित ना हो पाने के कारण उपरोक्त प्रक्षेपों में से सामान्य रूप से द्वितीय तथा चतुर्थ कोणीय प्रक्षेप का उपयोग नहीं किया जाता है।
प्रथम कोणीय प्रक्षेप तथा तृतीय प्रक्षेप का संकल्पना (Concept of First Angle Projection and Third Angle Projection):
1. प्रथम कोणीय प्रक्षेप (First Angle Projection)
इस विधि में वस्तु को प्रथम चतुर्थांश (First Quadrant) में रख कर उसका प्रक्षेप खींचा जाता है। जब वस्तु फ्रंट व्यू (Front View) लिया जाता है तब वर्टिकल तल आकृति के पीछे तथा टॉप व्यू (Top View) लेने पर यह समतल तल के नीचे लिया जाता है।
इस विधि में फ्रन्ट व्यू को टॉप व्यू से ऊपर बनाया जाता है तथा साइड व्यू को ऊपर की तरफ फ्रन्ट व्यू के दायीं तरफ बनाया जाता है। यह ब्रिटिश स्टैन्डर्ड प्रणाली है।
2. तृतीय कोणीय प्रक्षेप (Third Angle Projection)
ऑर्थोग्राफिक में यह बहुप्रचलित प्रणाली है तथा मानक संस्थान द्वारा इस प्रणाली को ही मान्यता प्रदान की गई है। इस विधि में वस्तु को तृतीय चतुर्थांश (Third Quadrant) पर रखा जाता है। जब वस्तु को फ्रन्ट साइड से देखा जाता है तब रेखाएँ वर्टिकल तल को काटती है, परन्तु टॉप से देखने पर समतल तल को काटती हैं। इस प्रणाली में बायीं साइड का व्यू फ्रन्ट साइज की तरफ रखा जाता है तथा टॉप व्यू को फ्रन्ट व्यू के ऊपर रखा जाता है। यह अमेरिकन स्टैन्डर्ड प्रणाली है।
प्रक्षेप प्रणाली चिह्न (Symbols for Method of Projection)
प्रक्षेप प्रणाली चिह्न ड्राइंग में उनकी स्थिति अर्थात् प्रथम व तृतीय कोणीय प्रक्षेप को ड्राइंग शीट में दर्शाते हैं।
उपरोक्त चिन्ह चित्र शंकु के फ्रस्टम प्रक्षेप के हैं।
भारत में कुछ समय पहले प्रथम कोणीय प्रक्षेप का उपयोग किया जाता था लेकिन भारतीय मानक संस्थान द्वारा इसके स्थान पर तृतीय कोणीय प्रक्षेप को मान्यता प्रदान की गई है। परन्तु 1991 के बाद फिर आई. एस. आई. द्वारा इसे अपनाया गया इसलिए उपरोक्त दोनों प्रणालियों के बारे में जानकारी होना आवश्यक है।
ऑर्थोग्राफिक प्रक्षेप को चित्र द्वारा विभिन्न तीनों कोणों से वस्तु को देखने की प्रणाली को प्रस्तुत किया गया है।
प्रथम तथा तृतीय कोणीय प्रक्षेप में अन्तर
(Comparison Between First and Third Angle Projection)
प्रथम कोणीय प्रक्षेप | तृतीय कोणीय प्रक्षेप |
1.यह ब्रिटिश प्रणाली है। | यह अमेरिकन प्रणाली है। |
2.वस्तु को प्रथम चतुर्थांश में रखते हैं। | वस्तु को तृतीय चतुर्थांश में रखते हैं। |
3. इसमें चित्रपट अपारदर्शक माने जाते हैं। | इसमें चित्रपट पारदर्शक माने जाते हैं। |
4. ऊपर से नजर आने वाले दृश्य को नीचे रखते हैं | ऊपर से नजर आने वाले दृश्य को ऊपर रखते हैं। |
5. नीचे से नजर आने वाले दृश्य को ऊपर रखते हैं। | नीचे से नजर आने वाले दृश्य को नीचे रखते हैं। |
6. दायीं तरफ से नजर आने वाले दृश्य को बायीं तरफ रखते हैं। | दायीं तरफ से नजर आने दृश्य को दायीं तरफ रखते हैं। |
7. बायीं तरफ से नजर आने वाले दृश्य को दायीं तरफ रखते हैं। | बायीं तरफ से नजर आने वाले दृश्य को बायीं तरफ रखते हैं। |
8. इसमें विपरीत दिशा में खींचो का सिद्धान्त प्रयोग किया जाता है। | इसमें उसी दिशा में खींचो का सिद्धान्त प्रयोग किया जाता है |
Orthographic Projection