Previous year Paper for CNC Machine 2022 [free pdf] – Polytechnic

उत्तर प्रदेश डिप्लोमा
षष्ठम सेमेस्टर, सॉल्वड पेपर जून-2019
सी.एन. सी मशीन एवं स्वचालन
(CNC MACHINE & AUTOMATION)

प्रश्न 1. निम्न में से कोई दो प्रश्न हल करें।

(अ) विभिन्न प्रकार की NC मशीनें कौन-सी है? व्याख्या कीजिये?
उत्तर –
विभिन्न प्रकार की NC मशीनें निम्नलिखित हैं
(i) CNC मशीन
(ii) DNC मशीन

कम्प्यूटर संख्यात्मक नियन्त्रण मशीन (CNC Machine ) – जब कभी भी हमें कोई उत्पाद चाहिए, NC – मशीनों में टैप (Tape) को बार-बार लोड (load) करना पड़ता है। इससे समय की हानि होती है तथा कभी पढ़ने की त्रुटि भी होती है। यदि कहीं प्रोग्राम बदलना हो तो उसे बदला नहीं जा सकता। इसके विपरीत CNC मशीनों में प्रोग्राम के लिए सॉफ्टवेयर का इसी लिए इसे सॉफ्टवेयर कन्ट्रोल भी कहा जाता है।

इस सिस्टम में प्रोग्राम को टेप या की-बोर्ड द्वारा मेमोरी में प्रवेश कराकर सुरक्षित (Save) कर लिया जाता है। जब भी कोई उत्पाद विशेष बनाना होता है तो उसके प्रोग्राम को मेमोरी ( Memory) से काल (Call) कर लिया जाता है और आवश्यकतानुसार उसे बदलकर बिना कोई अतिरिक्त समय बर्बाद किये उत्पादन प्रारम्भ कर दिया जाता है।


शुरुआत में NC मशीनों की MCU (Machine Control Unit) के स्थान पर मिनी कम्प्यूटर प्रयोग होने लगे और बाद में मिनी कम्प्यूटर का स्थान माइक्रो कम्प्यूटरों ने ले लिया। इन्हीं NC मशीनों को, जिनमें कन्ट्रोल यूनिट के स्थान पर माइक्रोकम्प्यूटर प्रयोग होते हैं, कम्प्यूटर न्यूमेरिकल कन्ट्रोल या CNC मशीन कहते हैं ।

डायरेक्ट न्यूमेरिकल कन्ट्रोल मशीन (Direct Numerical Control Machine ):- जिस उत्पादन सिस्टम में बहुत-सी मशीनें एक कम्प्यूटर से कन्ट्रोल की जाती हैं उससे सीधे-सीधे जुड़े रहकर निर्देश प्राप्त करती हैं, उसे Direct Numerical Control या DNC कहा जाता है। इस सिस्टम में पार्ट प्रोग्राम कम्प्यूटर की मेमोरी से सीधे मशीनों को फीड किये जाते हैं तथा इसमें टैपरीडर आदि नहीं लगाये जाते हैं।

एक DNC कम्प्यूटर से 100 से भी अधिक मशीनों को कन्ट्रोल किया जा सकता है। तब भी मशीनों को निर्देशों की आवश्यकता रहती है, कम्प्यूटर तुरन्त निर्देश देता है। इस सिस्टम में कार्यस्थलों पर एकत्रित डेटा तथा प्रोसेस की स्थिति के बारे में सभी सूचनाएं कम्प्यूटर को देने की क्षमता भी होती है।

DNC के चार घटक होते हैं
(1) केन्द्रीय कम्प्यूटर (Central Computer)
( 2 ) प्रोग्रामों के लिए वृहत स्मृति (Bulk Memory to Store Programs)
(3) टेलीकम्यूनिकेशन लाइनें (Telecommunication” Lines)
(4) मशीन टूल (Machine Tools)

‘केन्द्रीय कम्प्यूटर विभिन्न पार्ट प्रोग्रामों को बल्क में स्टोर करके रखता है और उन्हें आवश्यकतानुसार विभिन्न मशीनों को भेजता रहता है। समय-समय पर मशीनों से डेटा भी प्राप्त करता रहता है। यह सिस्टम किसी भी सूचना की मांग होते ही तुरन्त नवीनतम सूचना देता है। इस प्रक्रिया में कोई समय खर्च नहीं होता, इसलिए इसको Real Time Communication कहते हैं।

DNC में केन्द्रीय कम्प्यूटर बहुत-सी मशीनों के साथ एक ही समय में Real Time Communicationकर सकता है। जैसा चित्र 6 में दर्शाया गया है। कभी-कभी मशीनों की संख्या के आधार पर छोटे सैटेलाइट कम्प्यूटरों का प्रयोग किया जाता है। ये कम्प्यूटर केन्द्रीय कम्प्यूटर का भार कम करने में सहायक होते हैं। ये केन्द्रीय कम्प्यूटर से, कुछ पार्ट प्रोग्रामों के समूह को लेकर अपने मेमोरी बफर में स्टोर कर लेते हैं और आवश्यकतानुसार अपनी अधीनस्थ मशीनों को निर्देश निर्गत करते हैं।

मशीनों से मिलने वाले फीडबैक डेटा को ये कम्प्यूटर केन्द्रीय कम्प्यूटर तक पहुँचाते हैं जैसाकि चित्र 7 से स्पष्ट है

(ब) Control system से आप क्या समझते हैं? Open loop system तथा Closed loop system क्या हैं?

उत्तर नियंत्रण प्रणाली (Control system) – इसे विस्तार से जानने से पहले कुछ प्रारंभिक परिभाषाएं जान लेना श्रेयस्कर होगा।

नियंत्रण प्रणाली (Control System) — यह एक युक्ति अथवा कई युक्तियों का समूह होता है जो अन्य युक्ति के behaviour को नियंत्रित करता है। कुछ युक्तियां नियंत्रित नहीं की जा सकतीं, पर पूर्ण रूप में एक नियंत्रण सिस्टम घटकों का interconnection होता है जो इस प्रकार एक-दूसरे से संबंधित होते हैं कि वे स्वयं यह किसी दूसरे सिस्टम को नियंत्रित, निर्देशित या regulate कर सकते हैं।

नियंत्रक (Controller) — यह ऐसा नियंत्रण सिस्टम है जो किसी अन्य सिस्टम या युक्ति के behaviour को manage करता है।

क्षतिपूरक (Compensator) — यह एक ऐसा नियंत्रण सिस्टम होता है जो किसी अन्य सिस्टम को regulate करने के लिए उस सिस्टम के निवेश या निर्गम को condition करता है। क्षतिपूरक किसी एक design की कमी को पूरा करते हैं व इस कार्य को इस प्रकार करते हैं कि design के अन्य अंगों से कम-से-कम छेड़छाड़ हो । अब नियंत्रण सिस्टम का विवरण विस्तार से इस प्रकार किया जाएगा।

नियंत्रण सिस्टम की युक्तियां electrical, mechanical, hydraulic, pneumatic, thermal या रासायनिक हो सकती हैं। भली -भांति बनाया गया एक नियंत्रण सिस्टम पूरे सिस्टम या बाह्य disturbances, जो कि time dependent हो सकते हैं,
को सर्वाधिक प्रभावशाली response देगा।

अतः नियंत्रण सिस्टम के निम्नलिखित functions होते हैं
(1) वास्तविक एवं वांछित (desired) निर्गम के बीच न्यूनतम त्रुटि (miniinum-error) रखना ।
(2) सिस्टम में परिवर्तनों (changes) को load करने में कम से कम response time रखना ।

ओपन लूप नियंत्रण प्रणाली (Open loop contraol system) – इस प्रकार के नियंत्रण सिस्टम में नियन्त्रण क्रिया का सिस्टम के निर्गम (System output) से किसी प्रकार का अंतर्संबंध नहीं होता। इस प्रकार का एक आदर्शभूत (Idealized) सिस्टम नीचे चित्र में दिखाया गया है।
निम्नलिखित उत्पाद open loop नियंत्रण सिस्टम के अच्छे उदाहरण हैं

‘ ( 1 ) बिजली से चलने वाला (Hand Drier) – जब तक उपयोगकर्ता का हाथ drier के नीचे रहता है तब तक गर्म हवा आती ही रहती है। भले ही हाथ पूरा सूख गया हो। इस प्रकार के hand drier होटल, रेस्टोरेन्टों तथा हवाई अड्डों पर काफी प्रयोग किए जाते हैं ।

( 2) Automatic Washing Machine — कपड़े धोने की पूर्णत: स्वचालित मशीन अपने पहले से set किए हुए समय के अनुसार पूरा चक्र चलकर रुक जाती है, भले ही कपड़े पूरी तरह से न धुल पाए हो

( 3 ) डबल रोटी (Toaster) — इस प्रकार का टोस्टर अपने निर्धारित समय के उपरान्त ठन्डा होने लगता है जबकि हो सकता है कि डबल रोटी पूरीकी पूरी न सिंक पाई हो।

(4) बिजली का स्विच – बल्ब जलाने वाला स्विच ऑन करने पर बल्ब जलने लगता है। चाहे रात हो या दोपहर के बारह बजे हों और रोशनी अपने आप आ रही हो।

ओपन लूप नियंत्रण प्रणाली के लाभ (Advantages of Open Loop Control System)

  1. ये Desgin तथा निर्माण आसान होते हैं
  2. कम खर्चीले होते हैं
  3. रख-रखाव सरल होता है
  4. साधारणतः मजबूत होते हैं
  5. उन स्थानों पर प्रयोगनीय होते हैं जहां निर्गम को नापना कठिन हो ।

ओपन लूप नियंत्रण सिस्टम की हानियां (Disadvantages of Open Loop Control System)

  1. ये सामान्यत: inaccurate होते हैं ।
  2. इनका संचालन (unreliable) रहता है।
  3. निर्गम, का परिवर्तन स्वतः नापा नहीं जा सकता।
  • वे नियंत्रण सिस्टम जिनमें निर्गम का निवेश पर प्रभाव (effect of output on input) रहता है Close loop नियंत्रण सिस्टम कहलाते हैं। इस प्रकार के नियंत्रण सिस्टमों में सिस्टम निर्गम सिस्टम तनिवेश को प्रभावित कर आवश्यकता के अनुरूप परिवर्तित कर देता है। Open Loop System को एक फीडबैक लूप (feedback loop) द्वारा Close loop system बनाया जाता है। फीडबैक का सिद्धान्त चित्र में समझाया गया है

Close loop सिस्टम के घटक निम्नलिखित हैं

  1. तुलना घटक (Comparison element)
  2. नियंत्रण घटक (Control element)
  3. सुधारक घटक (Correction element)
  4. प्रक्रम घटक (Process element)
  5. मापन घटक (Measurement element)

Close loop नियंत्रण सिस्टम के उदाहरण तौर पर निम्नलिखित उत्पादों का विवरण नीचे दिया जा रहा है

(1) Automatic बिजली की Press – इस प्रकार की कपड़े प्रेस करने वाली बिजली की प्रेस निर्गम ताप (इस्तरी की सतह की गर्मी) नियत से अधिक होने
पर heating element अपने आप बन्द हो जाता है और प्रेस ठण्डी होने लगती है। जैसे ही ताप अधिक कम होता है element पुन: चालू हो जाता है एवं प्रेस फिर गर्म होने लगती है। क्रमानुसार प्रेस का गर्म और ठण्डा होना निर्गम का निवेश पर प्रभाव है। यहीं Close loop नियन्त्रण सिस्टम का सिद्धान्त है।

( 2 ) एयर कन्डीशनर ( Air Conditioner) – कमरा ठण्डा करने वाला साधारण एयर कन्डीशनर Close loop नियंत्रण सिस्टम का एक अच्छा उदाहरण है। कमरा एक नियत ताप से अधिक ठण्डा होने पर यह स्वतः रुक जाता है। इसे चित्र 2 में प्रदर्शित किया गया है।

(3) Water Level Controller — टंकी भर जाने पर float ऊपर उठने वाले पानी को रोक देता है।

( 4 ) सर्वो वोल्टता स्टेबलाइजर (Servo Volage Stabilizer) — यह वोल्टता को एक नियत रेंज के भीतर ही रखता है तथा रेंज से बाहर नहीं जाने देता

( 5 ) कार का Colling सिस्टम – यह गाड़ी के अन्दर ताप को नियंत्रित रखता है।

क्लोज लूप नियंत्रण प्रणाली के लाभ (Advantages of Close Loop Control System)

  1. अधिक परिशुद्धता (Accuracy)
  2. अधिक बड़ी (Bandwidth)
  3. स्वचालन में आसानी
  4. अधिक सूक्ष्मग्राही (Sensitive)
  5. बाह्य परिस्थितियों से अप्रभावित

क्लोज लूप नियंत्रण प्रणाली की कमियां (Disadvantages of Close Loop Control System)

  1. अधिक महंगे
  2. क्लिण्ट डिजाइन
  3. अधिक रख-रखाव की आवश्यकता
  4. फीडबैक के कारण Oscillatory respone
  5. फीडबैक के कारण समग्र रूप में कम gain
  6. स्थायित्व में कठिनाई (Stability Problems

(स) Automation का क्या सिद्धान्त (Concept) है? व्याख्या कीजिये?

उत्तर -स्वचालन (Automation) — औद्योगिक विकास के सा ही उत्पादन में स्वचालन का पदार्पण हुआ। मानवजन्य कमजोरियों को दूर करने के लिए मानव द्वारा किया जाने वाला कार्य, विकसित मशीनों द्वारा किया जाने लगा। प्रारम्भ में अर्द्ध-स्वचालित मशीनों का विकास हुआ।

इन मशीनों पर कुछ ऑपरेशन मशीनों द्वारा अपने आप हो जाते हैं और शेष कार्य ऑपरेटर के सहयोग से किया जाता है। बाद में पूर्ण स्वचालित मशीनें विकसित हुईं। इन मशीनों पर ऑपरेटर एक बार किसी उत्पाद विशेष के लिए सेटिंग कर देता है और फिर मशीन सभी कार्यों की पुनरावृत्ति अपने आप करती है।

यह मशीन एक ही प्रकार का उत्पाद बनाने में सक्षम है। एक ही ऑपरेटर कई मशीनें चला सकता है। इन मशीनों में कैम, गीयर, लीवर और असेन्ट्रिक आदि यांत्रिक पुर्जों की सहायता से स्वचालन किया जाता है।

बाद में कम्प्यूटर की खोज के साथ स्वचालन भी अधिक उत्कृष्ट और सहज प्रकार का हो सका अतः स्वचालन उत्पादन की वह कला है जिसके द्वारा हम मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक और कम्प्यूटर आधारित उपक्रमों को प्रयोग करके किसी संस्थान में उत्पादन को आसानी से नियमित और नियंत्रित करते हैं ।

स्वचालन के घटक (Elements of Automation) – स्वचालित संयंत्रों में निम्न अवयव होते हैं
(1) विभिन्न अवयवों को बनाने हेतु स्वचालित मशीनें (Automatic Machines )
(2) गुणवत्ता नियंत्रण के लिए स्वचालित निरीक्षण उपक्रम (Automatic Inspection System)
(3) विभिन्न अवयवों का संयोजन करने वाली स्वचालित मशीनें (Automatic Assembly Machines)
(4) इंडस्ट्रियल रोबोट (Industrial Robots)
(5) सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने व स्टोर करने का स्वचालित उपक्रम (Automatic Material Handling and Storage System)
(6) विभिन्न उत्पादन क्रियाओं को नियन्त्रित करने, अनेक प्रकार के डेटा इकट्ठे करने व विभिन्न प्रकार के निर्णय लेने में सहायता के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग (Computer Control) स्वचालन का प्रयोग उत्पाद का उत्पादन मूल्य कम करने और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसमें मानव हस्तक्षेप कम-सेकम रह जाता है जिससे मानवजन्य कमजोरियों के कारण होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है।

प्रश्न 2.निम्न में से कोई दो प्रश्न हल करें। [ 2 × 5 = 10]

(अ) CNC Machine के Specification के बारे में संक्षिप्त में व्याख्या कीजिये।

(ब) रोबोट टेक्नॉलोजी को समझाइये।
उत्तर- रोबोट (Robot) -स्वचालन का नवीनतम स्वरूप रोबोट (Robot) के रूप में आज दुनिया के सामने है। मानव के समान कार्य करने वाली स्वचालित मशीन को रोबोट कहा जाता है।

विभिन्न जटिलतम प्रक्रियाओं को करने के लिए मानव के स्थान पर आज रोबोट कार्य करते हैं, जैसे- परमाणु रियेक्टर (Atomic Reacter) या हाई-टेक वेल्डिंग प्रक्रियाएं । यद्यपि रोबोटिक मशीनें महंगी होती हैं। परन्तु उपयोगिता को देखते हुए आज नवीनतम उद्योगों में इनका प्रचलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। रोबोटिक मशीनों में इंजीनियरिंग की तीन ब्रान्चों का मुख्य रूप से समावेश होता है जैसाकि चित्र में दर्शाया गया है।

  • मैकेनिकल इंजीनियरिंग
  • इलेट्रॉनिक इंजीनियरिंग
  • कम्प्यूटर इंजीनियरिंग

रोबोट में रोबोटिक आर्म को तीनों अक्षों में रेखीय (Linear) तथा घूर्णी (Rotational) गति करने की स्वतन्त्रता रहती है। इस प्रकार इसमें छ: डिग्री ऑफ फ्रीडम (Six Degrees of freedom) होती हैं।

एक रोबोट को संचालित तथा नियन्त्रित किया जाता है। कम्प्यूटर की मेमोरी में रोबोट को चलाने के प्रोग्राम पर दिये जाते हैं। समय की आवश्यकतानुसार ये प्रोग्राम चलाये जाते हैं।

आवश्यकता को पहचानने के लिए विभिन्न प्रकार के सेन्सरी (Sensors) का प्रयोग किया जाता है। ये सेन्सर कई प्रकार के होते हैं, जैसे- प्रकाशीय सेन्सर (Light Sensors), आवाज सेन्सर (Sound Sensors), सूंघने वाले सेन्सर, ऊष्मीय सेन्सर (Heat Sensors), टच सेन्सर (Touch Sensors) आदि।

इन सेन्सरों की सहायता से रोबोट देख सकता है, सुन सकता है, सूंघ सकता है तथा छुअन महसूस कर सकता है। कम्प्यूटर काप्रयोग होने से रोबोट अधिक नम्य (Flexible) तथा प्रोग्राम योग्य (Programmable) होते हैं जिससे इनको उत्पादन में उपयोगिता और अधिक बढ़ गयी है।

(स ) कम्प्यूटर ऐडिड मेनुफैक्चरिंग क्या होता है? वर्णन कीजिये।

प्रश्न 3. निम्न में से कोई दो प्रश्न हल करें। [ 2 × 5 = 10]

(अ) NC मशीनों के क्या लाभ और हानि है? वर्णित कीजिए।

( ब ) Part-programming का मूल सिद्धान्त क्या हैं? व्याख्या कीजिए।

(स)) मूल रोबोट मोशन (Motion) कौन-से हैं, तथा उनका किस प्रकार उपयोग किया जाता है?
उत्तर
– मूल रोबोट की गातियां निम्नलिखित हैं
(i) घूर्णन गति (Rotary motion)
(ii) उर्ध्वाधर गति (Vertical motion)
(iii) त्रिज्यीय गति (Radial motion)
(iv) पिच गति (Pitch motion)
(v) रोल गति (Roll motion)
(vi) Yaw

उपयोग (Applications)- रोबोट का उपयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में होता है
(i) वेल्डिंग
(ii) पेन्टिंग
(iii) असेम्बली
(iv) डिसअसेम्बली
(v) प्रिन्टेड सर्किट बोर्ड के लिए पिक एवं प्लेस
(vi) पैकेजिंग एवं लेबलिंग
(vii) उत्पाद निरीक्षण
(viii) पदार्थ हस्तान्तरण आदि में।

प्रश्न 4. निम्न में से कोई दो प्रश्न हल करें। | 2 × 5 = 10]

(अ) CNC मशीनों की सामान्य समस्यायें (Common problems) क्या हैं? व्याख्या करिये।

( ब ) कृपया Actuators के सिद्धान्त (Concept) का वर्णन करें।

(स) Tool-room के मैनेजमेन्ट पर एक नोट लिखें।
उत्तर- Tool room मैनेजमेन्ट
– धातु कार्य (Metal working) में टूल मैनेजमेन्ट की आवश्यकता होती है, जिससे हस्त उपकरण के बारे में जानकारी समान रूप से व्यवस्थित एवं एकीकृत हो सकें। जानकारी (Information) को एक डाटाबेस में संग्रहित किया जाता है और Tool मैंनेजमेन्ट का उपयोग करके पंजीकृत और लागू किया जाता है। टूल डेटा प्रबन्ध में विशिष्ट डाटा फील्ड, ग्राफिक्स और पैरामीटर होते हैं।

जो सामान्य उत्पादन उपकरण के प्रबन्धन के विपरीत उत्पादन में आवश्यक होते हैं। देश में सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहन देने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा देश भर में विभिन्न स्थानों पर टूल रूम स्थित किये गये हैं।

MSME टूल रूम की स्थापना का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक विकास के लिए अपनी अत्याधुनिक टूल रूम्स सुविधाओं के साथ प्रशिक्षित, कुशल और प्रगतिशील कामगारों की क्षमताओं पर आधारित सतत, विश्वसनीय, गुणवत्तापूर्ण सेवा और दीर्घावधि एवं लघु अवधि प्रशिक्षण के माध्यम से प्रशिक्षित कामगार उपलब्ध कराना है।

MSME टूल रूम्स नवीन एवं उन्नत CNC लेथ मशीन, मिलिंग, EDM और वायर कट मशीन सहित अत्याधुनिक मशीनों की व्यापक रेन्ज के साथ अत्याधुनिक टूल रूम्स सुविधाएं एक ही स्थान पर मुहैया करवाते हैं।

प्रश्न 5. निम्न में से कोई दो प्रश्न हल करें। [ 2 ×5 = 10]

(अ) CNC tool holder के सिद्धान्त का वर्णन करें।

उत्तर- CNC tool holder – यह उपकरण, एक मशीन टूल स्पिण्डल और कटिंग टूल के बीच एक विनिमेय (interchangeable) इन्टरफेस के रूप में कार्य करता है, इस प्रकार किसी भी अवयव की क्षमता कम नहीं होती है। CNC टूल होल्डर के चार तत्व आवश्यक हैं
(i) सकेन्द्रिता (Concentricity)
(ii) होल्डिंग सामर्थ्य (Holding strength)
(iii) गेज (Gauges)
(iv) संतुलन (Balancing)

(i) सकेन्द्रिता (Concentricity) – मशीन स्पिण्डल और कर्तन औजार के घूर्णन अक्ष को Concentrically मेन्टेन रखना चाहिए।

(ii) होल्डिंग सामर्थ्य (Holding strength) – टूल होल्डर के अन्तर्गत, घूर्णन के लिए कर्तन औजार को सुरक्षित रूप से रखा जाना चाहिए ।

(iii) गेज (Gauges) – गेज, टूल होल्डर के अनुरूप होना चाहिए। उचित गेजों के अनुप्रयोग होल्डर से होल्डर तक स्थिरता सुनिश्चित करता है।

(iv) संतुलन (Balancing) – टूल होल्डर संतुलित (balance) होना चाहिए, साथ-ही-साथ स्पिण्डल भी जिसमें टूल होल्डर स्थापित है।

(ब) CNC मशीनों के लिए विभिन्न कटिंग टूल्स क्या हैं? व्याख्या कीजिए।

उत्तर – CNC मशीन के लिए निम्नलिखित कर्तन औजार हैं
(i) High speed steel (HSS) tool
(ii) High carbon tool steel (HCS) tool
(iii) Cast alloy tool
(iv) Cemented carbide tool
(v) Ceramic tool
(vi) Diamond tool

(i) High speed steel (HSS) tool – यह एक कार्बन स्टील है, जिसमें टंगस्टन, क्रोमियम, वैनेडियम, कोबाल्ट और मॉलीब्डेनम जैसे मिश्र धातु तत्व कठोरता एवं घिसाव प्रतिरोध बढ़ाने के लिए मिलाये जाते हैं।

(ii) High carbon tool steel (HCS) tool – यह स्टील धीमी कर्तन गति एवं कम तापमान के लिए उपयुक्त है। इस उपकरण की कठोरता कार्बन सामग्री (Carbon content) द्वारा निर्धारित जाती है।

(iii) Cast alloy tool ( कास्ट एलॉय टूल ) – यह एक अलौह मिश्र धातु है और HSS की तुलना में इसकी मशीनन क्षमता उच्च होती है। उच्च तापमान पर इसकी कठोरता एवं टफनेस भी अधिक होती है।

(iv) Cemented carbide tool (सीमेन्टेड कार्बाइड टूल ) – इसमें 5% कार्बन, 13% कोबाल्ट और 81% टंगस्टन शमिल हैं। यह टूल व्यापक रूप से आधुनिक मंहगी मशीनों में टिप टूल्स के रूप में उपयोग किया जाता हैं।

(v) Ceramic tool ( सेरेमिक टूल ) – यह उच्च कर्तन गति, बेहतर समह परिष्करण और अच्छी मशीनिंग लचीलेपन के लिए प्रयोग किया जा सकता है। एल्यूमीनियम आक्साइड, बोरॉन कार्बाइड, सिलिकॉन कार्बाइड, टाइटेनियम कार्बाइड आदि को सिरेमिक के रूप में जाना जाता है

(vi) Diamont tool (डायमण्ड टूल) – कम घर्षण उच्च घिसाव प्रतिरोध, अच्छी कर्तन एज (edge), एकल क्रिस्टल डायमण्ड का उपयोग तांबे की उच्च सतह परिष्करण के लिए किया जाता है।

(स) FMS

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