What is Micrometer in hindi
परिचय (Introduction)
हमें यह विदित है कि स्टील रूल की मदद से 1/64 इंच तथा 0.5 मि.मी. तक की छोटी माप ली जाती है। आधुनिक युग में सभी कलपुर्जे अति उत्तम तथा बहुत परिशुद्धता में बनाए जाते हैं। अत: उनके सभी मापों को परिशुद्धता में बनाने तथा मापने के लिए भिन्न-भिन्न सूक्ष्ममापी यंत्रों (Precision Instruments) की आवश्यकता पड़ती है। “ ऐसा यंत्र जो इंच अथवा मीट्रिक प्रणाली में अधिक सूक्ष्म व परिशुद्ध माप ले सकें उसे सूक्ष्ममापी यंत्र कहते हैं अर्थात् इन यंत्रों के द्वारा किसी जॉब को मीट्रिक प्रणाली में 0.01 मि.मी. और इंगलिश प्रणाली में 0.001″ या इससे भी अधिक सूक्ष्मता में मापा जा सकता है। ” ये कई प्रकार के होते हैं; जैसे-माइक्रोमीटर, वर्नियर, कैलीपर आदि। वर्कशाप में निम्नलिखित सूक्ष्ममापी यंत्र (Precision Instruments) साधारणतः प्रयोग में लाए जाते हैं, जिनका अल्पमापांक निम्नलिखित है
माइक्रोमीटर (Micrometer)
यह एक सूक्ष्ममापी यंत्र है, जिसके द्वारा किसी जॉब को मीट्रिक प्रणाली में 0.01 मि.मी. तक और इंग्लिश प्रणाली में 0.001 इंच या इससे भी अधिक सूक्ष्मता में मापा जा सकता है। जैसा कि इसके नाम से विदित है, माइक्रो = सूक्ष्म या बारीक और मीटर का अर्थ है मापना। इसका आविष्कार फ्रांस के जीन पालमर (Jean Palmer) ने 1848 ई० में किया और इसका नाम जीन पालमर माइक्रोमीटर कैलीपर रखा गया। परंतु, 1867 में पेरिस से इसका एक सुधरा (Modified) हुआ नमूना जे. आर. ब्राउन (J. R. Brown) ने बनाया और एल. शार्प (L. Sharpe) नामक व्यक्ति अमेरिका ले आए तथा इसमें लगातार सुधार करते रहे। अतः 1885 ई० में इन्होंने उसमें और सुधार (Modification) किया जो लगभग आज के माइक्रोमीटर से मिलता-जुलता था अर्थात् आधुनिक माइक्रोमीटर जीन पालमर माइक्रोमीटर का ही शुद्ध रूप है। ” माइक्रोमीटर स्कू थैड की पिच (Pitch) के सिद्धांत (Principle) पर बनाया गया है और जो नट और बोल्ट की तरह कार्य करता है। इसलिए इसे स्क्रू गेज के नाम से भी पुकारते हैं।” किसी भी माइक्रोमीटर के द्वारा जो न्यूनतम माप ली जाती है वह उसकी अल्पमाप कहलाती है। इंग्लिश और मीट्रिक पद्धतियों के माइक्रोमीटर की अल्पमाप अलग-अलग होती है। ।
प्रणाली के आधार पर माइक्रोमीटर दो प्रकार के होते हैं-
1. मिलीमीटर या मीट्रिक माइक्रोमीटर (Metric Micrometer)
2. इंच या इंग्लिश माइक्रोमीटर (British Micrometer)।
कार्य के आधार पर माइक्रोमीटर के प्रकार (Types of Micrometer According to use):
1. बाह्य माइक्रोमीटर (Outside Micrometer) – जिसके द्वारा केवल बाहरी माप लिया जाता है।
2. आन्तरिक माइक्रोमीटर (Inside Micrometer) – इसके द्वारा केवल भीतरी माप लिया जाता है।
3. गहराई माइक्रोमीटर (Depth Micrometer) – जिसके द्वारा केवल गहराई को मापा जाता है।
What is Micrometer in hindi
1. बाह्य माइक्रोमीटर (Outside Micrometer) – इस माइक्रोमीटर का प्रयोग बाहरी भागों को मापने या चैक करने के लिए किया जाता है। इससे 0.01 मि.मी. या 0.001″ तक की शुद्धता में माप लिया जा सकता है। इसके निम्नलिखित भाग होते हैं जिन्हें चित्र 2 भी दिखाया गया है – (i) फ्रेम (Frame), (ii) एनविल (Anvil), (iii) स्पिंडल (Spindle), (iv) स्लीव अथवा बैरल (Sleeve or Barrel), (v) थिम्बल लॉक नट (Thimble Lock Nut), (vi) लॉक नट (Lock Nut) (vii) रैचेट स्टॉप (Ratchet Stop)
(i) फ्रेम (Frame) – यह कास्ट आयरन, एल्यूमीनियम एलॉय या कास्ट स्टील का बना होता है। इस पर जलवायु का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यह अर्द्ध गोल या चौकोर होता है इसके दाएँ सिरे पर बैरल तथा बाएँ सिरे पर एनविल होता है। फ्रेम पर माइक्रोमीटर का साइज़ अंकित होता है।
(ii) एनविल (Anvil) – यह क्रोमियम स्टील का हार्ड एवं ग्राइंड किया गोल भाग होता है जो फ्रेम के बाएँ सिरे पर बैरल की अक्ष रेखा (Axis) पर फिट किया होता है। आजकल कार्बाइड टिप वाले एनविल भी उपलब्ध हैं। –
(iii) स्पिंडल (Spindle) – यह भी हार्ड व ग्राइंड किया हुआ क्रोमियम स्टील का एक गोल पीस होता है। इसके आगे वाले भाग का व्यास एनविल व्यास के बराबर होता है और कुछ स्पिंडल के अग्र भाग पर कार्बाइड टिप लगी होती है तथा पिछले भाग पर 40 चूड़ियाँ प्रति इंच या 0.5 मि.मी. पिच की चूड़ी कटी होती है। चूड़ी वाले भाग पर थिम्बल व पिछले सिरे पर रैचेट स्टॉप लगा होता है। –
(iv) स्लीव (Sleeve) – यह भी क्रोमियम स्टील की कमी होती है, इसे बैरल भी कहते हैं। यह फ्रेम के दायीं ओर लगी होती है तथा इसके अन्दर भी 40 चूड़ी प्रति इंच या 0.5 मि.मी. पिच की चूड़ी कटी होती है। इन चूड़ियों में से होता हुआ स्पिंडल आगे व पीछे चलता है। स्लीव के ऊपर एक लम्बी रेखा अंकित होती है। जिसे हम आधार रेखा (Datum Line) या इंडेक्स रेखा (Index Line) कहते हैं। इस रेखा पर इंगलिश पद्धति की एक इंच लम्बाई को 10 बराबर भागों में बाँटा होता है, इसलिए एक भाग 1/10 इंच व प्रत्येक दसवें भाग को चार छोटे बराबर भागों में बाँटा होता है। इस प्रकार स्लीव का प्रत्येक छोटा भाग 1/10 इंच – 1/4 = 1/40 इंच या 0.025″ इंच के बराबर होता है, तथा मीट्रिक पद्धति में 25 मि.मी. लम्बाई में एक मि.मी. और आधा मि.मी. में बाँटा होता है। इसलिए एक भाग = 25 – 50 = 1/2 मि.मी.।
(v) थिम्बल (Thimble) – यह स्टील की एक ट्यूब होती है। इसके एक सिरे को बैवल किया होता है। बैवल घेरे को इंगलिश पद्धति में 25 बराबर भागों में तथा मीट्रिक पद्धति में 50 बराबर भागों में बाँटा होता है तथा पीछे वाले भाग पर नर्लिंग की होती है। इसे स्पिंडल के पिछले भाग के साथ जोड़ दिया जाता है। इस प्रकार थिम्बल को घुमाने से स्पिंडल भी घूमता हुआ आगे व पीछे चलता है। इसके पिछली तरफ रैचेट स्टॉप लगा होता है।
(vi) लॉक नट (Lock Nut) – जब हम किसी जॉब का माप मशीन पर लेते हैं तो कई बार स्पिंडल घूम जाता है जिससे रीडिंग गलत हो जाती है। इस त्रुटि को दूर करने के लिए माप लेने के बाद स्पिंडल को लॉक करने के लिए एक लॉक नट का प्रयोग किया जाता है या कई बार एक ही सैटिंग के लिए भी इसे प्रयोग में लाते हैं।
(vii) रैचेट स्टाप (Ratchet Stop) – यह थिम्बल के पिछले सिरे के साथ जुड़ा रहता है। यदि यह पार्ट माइक्रोमीटर में न लगा हो तो अलग-अलग व्यक्ति द्वारा लिया गया माप अलग-अलग होगा। कारीगर को सही माप प्राप्त करने के लिए इसका प्रयोग करना चाहिए। इससे माइक्रोमीटर खराब भी नहीं होगा व शुद्ध और एक जैसा माप प्राप्त होगा तथा इसको चलाने के लिए निश्चित शक्ति से अधिक शक्ति लगाने से यह चट-चट की आवाज़ करने लगता है अथवा फ्री घूमने लगता है। इससे समझना चाहिए कि इस समय सही माप है अगर इससे ज़्यादा कसेंगे तो माप गलत हो जायेगा।
What is Micrometer in hindi
मीट्रिक माइक्रोमीटर का अल्पमाप (Least Count of Metric Micrometer)
मीट्रिक माइक्रोमीटर भी इंगलिश माइक्रोमीटर की तरह होता है। इसके पार्ट्स व सिद्धांत में कोई अन्तर नहीं है, परंतु इसकी ग्रेजुएशन में अन्तर होता है। इसके स्पिंडल व बैरल में 0.5 मि.मी. पिच की चूड़ियाँ कटी होती हैं और इसके स्लीव पर बनी डेटम लाइन के ऊपर 25 मि.मी. लम्बाई को 25 बराबर भागों में बाँटा होता है व प्रत्येक 25 वें भाग को दो भागों में बाँटा होता है। यह रेखाएँ डेटम लाईन से नीचे होती हैं। इसलिए एक छोटा भाग 1/2 या 0.5 मि.मी. के समान है।
मीट्रिक माइक्रोमीटर की पिच 1/2 मि.मी. या 0.5 मि.मी. के बराबर होती है। थिम्बल के बैवल घेरे को 50 बराबर भागों में बाँटा होता है अर्थात् थिम्बल को पूरा चक्कर देने पर यह 1/2 मि.मी. आगे या पीछे चलता है, इसलिए थिम्बल के घेरे का एक भाग बराबर है 1/2 x 1/50 = 1/100 या 0.01 मि.मी. । इसे मीट्रिक माइक्रोमीटर पर अल्पमाप (Least count) कहते हैं।
इंगलिश पद्धति में माइक्रोमीटर का अल्प माप (Least Count in English Micrometer)
इसमें माइक्रोमीटर की स्लीव पर इंच में निशान बने होते हैं। 1” को 10 बराबर भागों में बाँटा जाता है, इसलिए इसके एक भाग का मान 1/10″ या 0.1″ हो जाता है, इसको मेन डिवीज़न कहते हैं। प्रत्येक मेन डिवीज़न को 4 बराबर भागों में बाँट दिया जाता है जिससे इसके एक भाग का मान 1/40″ या 0.25″ हो जाता है, इसे सब डिवीज़न कहते हैं।
स्पिंडल के ऊपर और स्लीव के अन्दर 1″ में 40 चूड़ियाँ (40 T.P.I.) अर्थात् 1/40″ पिच वाली चूड़ियाँ कटी होती हैं। थिम्बल के बैवल ऐज को 25 बराबर भागों में बाँटकर निशान बना दिए जाते हैं। थिम्बल का एक चक्कर अर्थात् 25 निशान घुमाने पर वह 1/40″ चलेगा। इसलिए थिम्बल का एक भाग बराबर 1/40 x 1/25 = 1/1000″ या 0.001″ के। अतः इंगलिश माइक्रोमीटर की अल्पमाप 0.001″ होती है। “
माइक्रोमीटर माप सीमा (Range of Micrometer)
माइक्रोमीटर की मापक सीमा को माइक्रोमीटर की रेंज (Range) कहते हैं। मीट्रिक आउटसाइड माइक्रोमीटर की रेंज 25 मि.मी. जैसे 0-25 मि.मी., 25-50 मि.मी., 50-75 मि.मी., 75-100 मि.मी., 100-125 मि.मी. तथा 125-150 मि.मी. और इंगलिश माइक्रोमीटर की रेंज प्राय: 1″ होती है और इसके अनुसार ही इनकी स्लीव पर निशान अंकित होता है। इंच माइक्रोमीटर प्राय: 24″ तक एक इंच की रेंज में मिलते हैं, जैसे 0″-1″, 1″-2″, 2″-3″, 5″-6″, 12″ से 16″, 16″ से 20” तथा 20” से 24″ । इन्हें एडजस्टेबल (Adjustable) माइक्रोमीटर के नाम से जाना जाता है। जैसे 6 से 12 तक एक ही माइक्रोमीटर होता है, परंतु इसमें 6 एनविल व 6 स्टैंडर्ड टैस्ट बार होती है। जिस रेंज का माइक्रोमीटर प्रयोग में लाना हो उस साइज़ का एनविल लगा लेते हैं। एनविल के साथ कॉलर लगी होती है। जिसके द्वारा यह सैटिंग कर लेते हैं। प्रत्येक माइक्रोमीटर की मापन क्षमता उसके फ्रेम पर स्पष्ट रूप से अंकित होती है।
आउटसाइड माइक्रोमीटर द्वारा मीट्रिक पद्धति में रीडिंग लेने की विधि
मीट्रिक आउटसाइड माइक्रोमीटर पर रीडिंग लेने से पहले उसकी रेंज के अनुसार माइक्रोमीटर का चुनाव किया जाता है। जैसे यदि रीडिंग 0 से 25 मि.मी. के बीच लेनी है तो 0 से 25 रेंज का माइक्रोमीटर लेंगे और यदि रीडिंग 25 से 50 मि.मी. के बी लेनी है तो 25 से 50 मि.मी. रेंज वाला माइक्रोमीटर लेंगे। रीडिंग लेते समय पहले पूरे मि.मी को फिर 1/2 को और बाद में थिम्बल डिवीज़न को जोड़ा (+) जाता है। रीडिं। लेने से पहले माइक्रोमीटर की शून्य त्रुटि अवश्य चैक कर लेनी चाहिए। रीडिंग लेते समय निम्नलिखित माप अवश्य ध्यान में रखनी चाहिए।
मीट्रिक पद्धति द्वारा रीडिंग
1 मेन डिवीजन = 1 मि.मी.
1 सब डिवीजन 0.5 मि.मी.
1 थिम्बल डिवीज़न = 0.01 मि.मी.
ग्रैजुएशन (Graduations) – इसमें 25 मि.मी. लम्बी डैटम रेखा को एक मिली मीटर और आधे मिलीमीटर (1 मि.मी. और 0.5 मि.मी.) में बाँटा होता है और इस ग्रैजुएशन में 0, 5, 10, 15, 20 और 25 मि.मी. के नम्बर लगे होते हैं तथा थिम्बल के बैवल किनारे को 50 बराबर भागों में बाँटा होता है तथा 0, 5, 10, 15, 20, 25, 30, 35, 40 और 45 के नम्बर लगे होते हैं।
उदाहरण I : 28.63 मि.मी. की रीडिंग के लिए-
इसमें सबसे पहले हम आउट साइड माइक्रोमीटर 25 से 50 मि.मी. का चुनाव करेंगे।
बाहरी माइक्रोमीटर से 28 .63 mm रीडिंग लेनी है तो निचे दी गई विधि का प्रयोग करेंगे
1 – 25 से 50 mm रेंग को माइक्रोमीटर की 0 = 25.00 mm
2 – स्लीव के 3 मुख्य भाग = 3 x 1 = 3.00 mm
3 – स्लीव का 1 अनुभाग = 1 x 5 = 0.50 mm
4 – थिंबल के 13 भाग =13 x 0.01 = 0.13 mm
Total =28.63 mm (Answer)
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1- पेंचकस (Screw Driver) किसे कहते है ?
- स्टैण्डर्ड स्क्रू ड्राइवर (Standard Screw Driver)
- हैवी ड्यूटी ड्राइवर (Heavy duty Screw Driver)
- फिलिप्स स्क्रू ड्राइवर (Philips Screw Driver)
- ऑफसेट स्क्रू ड्राइवर (Offset Screw Driver)
- रैचेट स्क्रू ड्राइवर (Ratchet Screw Driver)
2- प्लायर्स (Pliers) किसे कहते है ?
- साइड कटिंग प्लायर्स (Side Cutting Pliers)
- लांग नोज़ प्लायर्स (Long Nose Pliers)
- स्लिप ज्वाइंट प्लायर्स (Slip Joint Pliers)
- डायगनल प्लायर्स (Diagonal Pliers)
- बेंच वाइस (Bench Vice)
- पाइप वाइस (Pipe Vice)
- लैग वाइस (Leg Vice)
- हैंड वाइस (Hand Vice)
- पिन वाइस (Pin Vice)
- टूल मेकर्स वाइस (Tool Maker’s Vice)
- प्लेन मशीन वाइस (Plain Machine Vice)
- स्विवल बेस वाइस (Swivel Base Vice)
- क्विक रिलीजिंग पाइस (Quick Releasing Vice)
- यूनिवर्सल मशीन वाइस (Universal Machine Vice)
6- Vernier Height Gauge working principle
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FAQ Question
Ans – ऐसा यंत्र जो इंच अथवा मीट्रिक प्रणाली में अधिक सूक्ष्म व परिशुद्ध माप ले सकें उसे सूक्ष्ममापी यंत्र कहते हैं
Ans – यह एक सूक्ष्ममापी यंत्र है, जिसके द्वारा किसी जॉब को मीट्रिक प्रणाली में 0.01 मि.मी. तक और इंग्लिश प्रणाली में 0.001 इंच या इससे भी अधिक सूक्ष्मता में मापा जा सकता है। जैसाकि इसके नाम से विदित है, माइक्रो = सूक्ष्म या बारीक और मीटर का अर्थ है मापना ….
Ans – माइक्रोमीटर nut and bolt के सिद्धांत पर कार्य करता है
Ans – (i) फ्रेम (Frame) – यह कास्ट आयरन, एल्यूमीनियम एलॉय या कास्ट स्टील का बना होता है।
(ii) एनविल (Anvil) – यह क्रोमियम स्टील का हार्ड एवं ग्राइंड किया गोल भाग होता है
(iii) स्पिंडल (Spindle) – यह भी हार्ड व ग्राइंड किया हुआ क्रोमियम स्टील का एक गोल पीस होता है।
Ans – स्लीव (Sleeve) का दूसरा नाम बैरल भी कहते हैं
Ans – इसका आविष्कार फ्रांस के जीन पालमर (Jean Palmer) ने 1848 ई० में किया।
Ans – माइक्रोमीटर (Micrometer) का Least Count 0 .01 mm और 0 .001 “
Ans – कार्य के आधार पर माइक्रोमीटर (Micrometer) तीन प्रकार के होते है
1. बाह्य माइक्रोमीटर (Outside Micrometer) – जिसके द्वारा केवल बाहरी माप लिया जाता है।
2. आन्तरिक माइक्रोमीटर (Inside Micrometer) – इसके द्वारा केवल भीतरी माप लिया जाता है।
3. गहराई माइक्रोमीटर (Depth Micrometer) – जिसके द्वारा केवल गहराई को मापा जाता है।
Ans – माइक्रोमीटर की मापक सीमा को माइक्रोमीटर की रेंज (Range) कहते हैं। मीट्रिक आउटसाइड माइक्रोमीटर की रेंज 25 मि.मी. जैसे 0-25 मि.मी.