Applications of transformer | Iron losses |Copper losses

Applications of transformer | Iron losses |Copper losses

लोह हानियाँ (Iron losses)

ट्रांसफॉर्मर के क्रोड को लोहे की पटलित पत्तियों से बनाया जाता है। इसलिए इसमें होने वाली वैद्युत हानियों को लोह हानियाँ कहते हैं। चूँकि लोहा एक सबल चुम्बकीय पदार्थ है, इसलिए इन हानियों को चुम्बकन हानियाँ कहते हैं। लोह हानियाँ, निर्भार से पूर्णभार तक एक समान रहती हैं, अर्थात् परिवर्तित नहीं होती हैं; इसलिए इन्हें स्थिर हानियाँ भी कहते हैं। लोह हानियाँ निम्नलिखित दो प्रकार की होती हैं

Applications of transformer
Applications of transformer

(i) भँवर धारा हानियाँ (eddy current losses)

(ii) शैथिल्य हानियाँ (hysteresis losses)

भँवर-धारा हानियाँ (Eddy current losses)

ट्रांसफॉर्मर के लोह-क्रोड में प्रत्यावर्ती फ्लक्स के प्रभाव से प्रेरित भँवर-धाराओं के कारण, उत्पन्न ताप में व्यय वैद्युत शक्ति को भँवर-धारा हानियाँ अर्थात् एडी-करेन्ट लोसज कहते हैं, जो ऊष्मा के रूप में लोह-क्रोड से विसरित (dissipate) होती हैं। व्यावहारिक रूप से भँवर-धारा हानियों का परिकलन निम्नलिखित सूत्र से होता है

We= Ke. B2m. f2.t2 .V वाट(जूल प्रति सेकण्ड)

यहाँ पर We=t वाट मात्रक में भँवर-धारा हानियाँ (eddy current losses in watt unit)

Bm = वेबर प्रति वर्ग मीटर मात्रक में अधिकतम फ्लक्स-घनत्व (maximum flux-density)

f = चक्र प्रति सेकण्ड या हर्ट्स मात्रक में प्रदायी वोल्टता की आवृत्ति (frequency of voltage)

t= मीटर मात्रक में एक लोह पत्ती की मोटाई (thickness of iron strip)

V =घन मीटर मात्रक में पटलित क्रोड का आयतन (volume of laminated core)

Ke = भँवर-धारा स्थिरांक (eddy current constant)

उक्त सूत्र से स्पष्ट है कि भँवर-धारा हानियों का मान अधिकतम फ्लक्स (BM), प्रदायी आवृत्ति (f), क्रोड पत्ती की मोटाई (t) तथा क्रोड के आयतन (V) पर निर्भर करता है। इसलिए भँवर-धारा हानियों का मान कम करने के लिए ट्रांसफॉर्मर के क्रोड को वार्निश (coated) की हुई सिलिकॉन स्टील की पत्तियों से पटलित तथा लघु आकार का बनाया जाता है।

Applications of transformer

शैथिल्य हानियाँ ‘अथवा’ मंदायन, हानियाँ (Hysteresis losses)

ट्रांसफॉर्मर के लोह-क्रोड का प्रत्यावर्ती फ्लक्स के प्रभाव से बारम्बार चुम्बकित, विचुम्बकित तथा विपरीत चुम्बकित होने से उत्पन्न ताप में व्यय वैद्युत शक्ति को हिस्टेरीसिस लॉसज कहते हैं, जो ट्रांसफॉर्मर के क्रोड से ऊष्मा के रूप में विसरित (dissipate)होती हैं। व्यावहारिक रूप में शैथिल्य हानियों का परिकलन निम्नलिखित सूत्र द्वारा होता है

Wh = Kh. Bl.6m.f.V वाट (जूल प्रति सेकण्ड)

यहाँ पर

Wh = वाट मात्रक में शैथिल्य हानियाँ (hysteresis losses in watt unit)

Bm= वेबर प्रति वर्ग मीटर मात्रक में अधिकतम फ्लक्स-घनत्व (max. flux density)

f = चक्र प्रति सेकण्ड या हर्ट्ज में प्रदायी वोल्टता की आवृत्ति (frequency of voltage)

V = घन मीटर मात्रक में लोह-क्रोड का आयतन (volume of iron core)

Kh = स्टनमेट्ज का शैथिल्य स्थिरांक (hysteresis constant)

उक्त सूत्र से स्पष्ट है कि शैथिल्य हानियों का मान अधिकतम फ्लक्स-घनत्व (Bm), प्रदायी आवृत्ति (f) तथा लोह-क्रोड के आयतन (V) पर निर्भर करता है।

ताम्र हानियाँ (Copper losses)

ट्रांसफॉर्मर की ‘प्राथमिक तथा द्वितीयक’ दोनों कुण्डलने प्रायः ताम्र-तार की कुण्डलियों से बनी होती हैं; इसलिए इसमें होने वाली वैद्युत हानियों को ताम्र हानियाँ कहते हैं। इन धारावाही ताम्र-तार की कुण्डलियों में जूल के नियमानुसार, उत्पादित ऊष्मा (hi2. r) की ताम्र हानियों का रूप होता है; इसलिए इन्हें i2.r हानियाँ भी कहते हैं। इन हानियों का मान, भार-धारा के वर्ग (i2) तथा कुण्डलन के प्रतिरोध (r) पर निर्भर करता है और विभिन्न वैद्युत भारों पर भार-धारा का मान भिन्न-भिन्न होने के कारण, इनका मान भी पृथक्-पृथक् होता है; इसीलिए इन्हें परिवर्तनीय हानियाँ भी कहते हैं।

सावधनियाँ (Precautions):

ट्रांसफॉर्मर की दक्षता ज्ञात करते समय, निम्नलिखित कारणों (causes) का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए

(i) अंश तथा हर की मात्रके (units) एकसमान होनी चाहिए।

(ii) ट्रांसफॉर्मर में लोह हानियाँ सभी भारों पर स्थिर रहती हैं, जिन्हें W प्रतीकात्मक अक्षर से व्यक्त करते हैं।

(iii) ट्रांसफॉर्मर में ताम्र हानियाँ भार-धारा के वर्ग (I2) के समानुपाती होती हैं, जिन्हें Wcu प्रतीकात्मक अक्षर से व्यक्त करते हैं अतः सम्बन्धता के रूप में

(iv) ट्रांसफॉर्मर की दक्षता, किसी निश्चित भार (kVA) पर निश्चित शक्तिगुणक (cos) के लिए ज्ञात की जाती है।

(v) ट्रांसफॉर्मर की दक्षता, प्रायः प्रतिशत में व्यक्त की जाती है।

(vi) ट्रांसफॉर्मर की प्रतिशत दक्षता, सदैव 100 से कुछ कम होती है।

(vii) ट्रांसफॉर्मर की दक्षता, समान शक्तिगुणक (cos p) के लिए अन्य भारों की अपेक्षा, पूर्ण भार पर अधिक होती है

(viii) ट्रांसफॉर्मर की दक्षता, समान भार पर अन्य शक्तिगुणकों (cos ) की अपेक्षा, इकाई शक्तिगुणक (unit p.f.) के लिए अधिक होती है।

(ix) ट्रांसफॉर्मर की अधिकतम दक्षता की शर्त (condition), लोह हानियों तथा ताम्र हानियों का समान होना है। अर्थात्

Wi= Wcu for maximum efficiency of transformer.

(x) प्रस्तुत दक्षता को सामान्य दक्षता (normal efficiency), व्यावसायिक दक्षता (commercial efficiency) के नामों से भी जाना जाता है।

(xi) घूर्णी यन्त्रों (rotating machines) की अपेक्षा, ट्रांसफॉर्मर की दक्षता अति उच्च होती है।

Applications of transformer

पूर्ण दिवस दक्षता का महत्त्व (Significance of all day efficiency)

चूँकि व्यावसायिक दक्षता का परिकलन किसी एक निश्चित भार (प्रायः पूर्णभार) पर किया जाता है; इसलिए स्थिर भार पर कार्य करने वाले ट्रांसफॉर्मर की मितव्ययता का ज्ञान, उसकी व्यावसायिक दक्षता (Commercial efficiency) से हो जाता है; परन्तु परिवर्तनीय भार पर कार्य करने वाले ट्रांसफॉर्मर की मितव्ययता का वास्तविक ज्ञान, उसकी व्यावसायिक दक्षता से नहीं हो पाता। ट्रांसफॉर्मर की दक्षता, उस पर लगाए गए भार के अनुसार, परिवर्तित होती रहती है; इसलिए परिवर्तनीय भार पर कार्य करने वाले ट्रांसफॉर्मर की वास्तविक मितव्ययता का ज्ञान प्राप्त करने के लिए, ट्रांसफॉर्मर के विभिन्न भारों पर व्यावसायिक दक्षता निकालकर, औसत व्यावसायिक दक्षता का मान ज्ञात करना पड़ता है। इस औसत व्यावसायिक दक्षता का ही एक सरलतम व विकसित रूप पूर्ण दिवस दक्षता (all day efficiency) है, जिसे पूर्व (उक्त) परिभाषित किया जा चुका है।

पूर्ण दिवस दक्षता के अनुप्रयोग (Applications of all day efficiency) – पूर्ण दिवस दक्षता का प्रयोग परिवर्तनीय भार वाले ट्रांसफॉर्मरों के लिए होता है; उदाहरण के लिए इलेक्ट्रिक पावर स्टेशनों एवं सब-स्टेशनों पर प्रयुक्त डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर्स आदि।

परिणामित्र के अनुप्रयोग (Applications of transformer)

विभिन्न प्रकार के ट्रांसफॉर्मरों का प्रयोग उन सभी स्थानों पर किया जाता है, जहाँ पर न्यून वोल्टता की प्रत्यावर्ती शक्ति को उच्च वोल्टता की प्रत्यावर्ती शक्ति में अथवा इसके विपरीत उच्च वोल्टता की प्रत्यावर्ती शक्ति को न्यून वोल्टता की प्रत्यावर्ती शक्ति में परिवर्तित करने की आवश्यकता होती है; जैसे

(i) वैद्युत शक्ति संचरण वितरण/नियमन आदि के लिए क्रमशः ट्रांसमिशन/डिस्ट्रिब्यूशन/ रेग्यूलेशन आदि पॉवर ट्रांसफॉर्मर्स।

(ii) संकर्षण (traction) में ए० सी० मोटरों के प्रवर्तन (starting) तथा गति नियन्त्रण (speed control) के लिए ऑटोट्रांसफॉर्मर स्टार्टर्स।

(iii) उच्च वोल्टता/धारा/शक्ति आदि मापन के लिए उपयन्त्र परिणामित्र (instrument transformer)

(iv) प्रयोगशालाओं में प्रत्यावर्ती शक्ति की वोल्टता को नियमित तथा नियन्त्रित (regulate and control) करने के लिए।

(v) विद्युत-भट्टियों (electric furnaces) की प्रदायी वोल्टता को नियमित तथा नियन्त्रित करने के लिए।

(vi) दिष्टकारियों (rectifiers) की प्रदायी वोल्टता को नियमित तथा नियन्त्रित करने के लिए।

(vii) रंगशाला (theatre) की मंच (stage) पर कृत्रिम प्रकाश की प्रदायी वोल्टता को नियमित तथा नियन्त्रित करने के लिए।

1- पेंचकस (Screw Driver) किसे कहते है ?

2- प्लायर्स (Pliers) किसे कहते है ?

3- वाइस (Vice) किसे कहते है