crank shaft kise khte hai
(Crank shaft) क्रैक शाफ्ट
- क्रैक शाफ्ट का वह पार्ट है जहाँ से शक्ति प्राप्त होती है । क्रैक शाफ्ट, संयोजक दण्ड से शक्ति प्राप्त करती है और आगे क्लच को ट्रांसफर करती है। अन्त में पहियों को शक्ति प्राप्त होती है।
(Construction of crank shaft) क्रैक शाफ्ट की रचना
बॅक शाफ्ट जटिल आकार की शाफ्ट होती है। उसके निम्नलिखित मुख्य पार्टस होते हैं।
- मेन बेयरिंग जर्नल (Main bearing journal)
- बॅक पिन (Crank pin)
- बॅक वेब (Crank webs)
- काऊंटर वेट (Counter weight)
- आयल होल (Oil holes)
एक सरल आरेख के माध्यम से 4-स्ट्रोक इन लाइन इंजन की क्रैक शाफ्ट चित्र 11.16 में दिखायी गयी है ।
क्रैक शाफ्ट के मेन बेयरिंग जर्नल को मेन बेयरिंग में सहारा जाता है। मेन बेयरिंग इंजन के क्रैक केस में लगे होते हैं। मेन बेयरिंग जर्नल और मेन बेयरिंग के अक्ष क्रैक शाफ्ट रोटेशन अक्ष होते हैं। मेन बेयरिंग जर्नल की संख्या सिलिण्डरों की संख्या से एक कम या एक अधिक होती है । क्रैक पिन भी जर्नल होते हैं परन्तु यह संयोजक दण्ड के बड़े सिरे को सहारते हैं। क्रैक पिन, क्रैक वेब के सहारे टिके होते हैं। मेन जर्नल के अक्ष और ऊक पिन की केन्द्र रेखा के बीच की दूरी को क्रैक-थो (crank-throw) कहते हैं। मैंक-शाफ्ट में तेल छिद्र (oil holes) भी होते हैं। तेल छिद्र मेन जर्नल और क्रैक पिन में ड्रिलिंग करके बनाये जाते हैं । यह छिद्र क्रैक वेब से होकर संयोजक दण्ड के बड़े सिरे के बेयरिंग तक जाते हैं और इनका स्नेहन करते हैं।
इंजन की रनिंग के अन्तर्गत प्रत्येक क्रैक पिन पर अपकेन्द्री बल (centrifugal forces) क्रिया करते हैं जो क्रैक शाफ्ट को एक ओर झुकाने का प्रयत्न करते हैं। क्रैक शाफ्ट के झुकने
की प्रवृत्ति को रोकने के लिये काउन्टरवेट लगाये जाते हैं। काउन्टरवेट क्रैक वेब का अभिन्न हिस्सा भी हो सकते हैं अथवा पृथक रूप से क्रैक वेब के साथ लगाये जाते हैं जैसाकि चित्र 11.17 में दिखाया गया है।
क्रैक शाफ्ट का कोई एक मेन जर्नल थ्रस्ट बियरिंग (thrust bearing) पर टिका होता है जो शाफ्ट के अक्ष की दिशा में लगने वाले बलों को सहारता है।
क्रैक शाफ्ट के दोनों सिरों पर सहायक युक्तियाँ फिट होती हैं । शाफ्ट के अग्र (front) भाग पर लगे होते हैं
(i) टाइमिंग गियर या स्प्रोकेट जिससे कैमशाफ्ट को गति मिलती है।
(ii) वाइब्रेशन डैम्पर (Vibration damper)
(iii) पुल्ली जिसके द्वारा वाटर पम्प, फैन और जेनरेटर को गति मिलती है।
शाफ्ट के पश्च (rear) भाग पर फ्लाई व्हील लगा होता है जो इंजन की उपजी शक्ति को संचित करता है। क्रैक शाफ्ट के दो चक्कर में केवल एक शक्ति स्ट्रोक होता है जिसमें उपजी अतिरिक्त शक्ति को फ्लाईव्हील शोषित कर लेता है और अन्य तीन स्ट्रोकों में शोषित शक्ति को अवमुक्त करता है। इस प्रकार फ्लाईव्हील बँक शाफ्ट को यूनीफार्म गति पर क्रैक चलते रहने में मदद करता है। फ्लाई व्हील की परिधि पर गियर के समान दाँते बने होते हैं। ऑटोमोटिव इंजन को स्टार्ट करने के लिये जब चाबी घुमाते हैं तो एक मोटर क्रिया करती है। इस पर लगी पिनियन फ्लाई व्हील के दाँतों से मैश (mesh) करती है और इसे गति प्रदान करती है फलस्वरूप इन्जन स्टार्ट हो जाता है।
क्रैक शाफ्ट की धातुयें (Materials of crankshaft)
क्रैक शाफ्ट का निर्माण दो विधियों से होता है :-
(1) फोर्जिंग (Forging )
(2) कास्टिंग (Casting)
क्रैक शाफ्ट की धातु का चयन निर्माण विधि के अनुसार किया जाता है। फोर्जड क्रैक शाफ्ट ऐलॉय इस्पात की बनी होती हैं। इसके लिये S.A.E. इस्पात 1045 तथा 3140 का प्रयोग किया जाता है। S.A.E. 1045 इस्पात में 0.60-0.90 प्रतिशत मैग्नीज होता है S.A.E. 3140 इस्पात में निकिल (1.10-1.140 प्रतिशत), क्रोमियम (0.55-0.75 प्रतिशत) में तथा मैंग्नीज (0.70-0.90 प्रतिशत) मिले होते हैं। क्रोम-वैनेडियम और क्रोम मॉलिब्डिनम इस्पात का प्रयोग भी सफलतापूर्वक किया गया है।
कास्ट-क्रैक शाफ्ट के निर्माण के लिये एक धातु कास्ट-स्टील तथा दूसरी धातु गोलाकार ग्रेफाइट ढलवाँ लोहा (spheroidal graphitc cast iron or S.G. cast iron) होती है। क्रैक शाफ्ट के लिये उपयुक्त कास्ट स्टील का विशिष्ट रासायनिक संघटन निम्न प्रकार होता है
धातु | प्रतिशत |
कार्बन | 1.35 – 1.6 |
क्रोमियम | 0.05 – 0.5 |
सिलिकॉन | 0.85 – 1.1 |
मैग्नीज | 0.60 – 0.8 |
ताँबा | 1.5 – 2.0 |
फास्फोरस | 0.10 |
सल्फर | ०. |
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