Methods of Lubrication of Engine Parts | इंजन पार्टस के स्नेहन की विधियाँ
ऑटोमोबाइल इंजनों के स्नेहन के लिये निम्न विधियाँ प्रयोग में लायी जाती हैं
(1) स्पलैश स्नेहन (Splash Lubrication)
(2) बलात या दाब स्नेहन (Forced or Pressure Lubrication)
(3) पैट्रोयल स्नेहन (Petroil Lubrication)
स्पलैश स्नेहन (Splash Lubrication)
इस विधि का प्रयोग एकल सिलिण्डर ऊर्ध्व प्रकार के छोटे इंजनों में किया जाता है। यह इंजन स्नेहन की सस्ती व सरल विधि हैं इसका क्रिया सिद्धान्त चित्र 11.60 में दिखाया गया है। स्नेहक तेल एक आयल-ट्रफ (Oil trough) में एकत्र किया जाता है। यह तेल एक पम्प द्वारा फ्रैंक केस आयल सम्प से ) । आयल-ट्रफ में भेजा जाता है। संयोजक दण्ड के बड़े सिरे पर एक तेल-स्कूप (oil scoop) लगा होता है।
इंजन की रनिंग के अन्तर्गत बँक शाफ्ट जब चक्कर लगाती है तब प्रत्येक बार b.d.c. से गुजरते हुये तेल-स्कूप स्नेहक तेल को ट्रफ से उछालता है, फलस्वरूप सिलिण्डर दीवार पर तेल का छिड़काव होता है। इस क्रिया से सिलिण्डर दीवार, गजन-पिन, मेन-बॅक शाफ्ट बेयरिंग, बिग एण्ड बेयरिंग (Big end bearing) आदि का स्नेहन होता है।
बलात या दाब स्नेहन (Forced or Pressure Lubrication)
यह विधि सभी प्रकार के ऑटोमोबाइल इंजनों के लिये उपयुक्त है। इस विधि में इंजन के विभिन्न भागों में स्नेहक-तेल की पहुँच दबाव के अन्तर्गत होती है जो कि किसी उपयुक्त पम्प द्वारा प्रदान किया जाता है। चित्र 11.61 में बलात-स्नेहन की व्यवस्था प्रदर्शित की गई है। आयल पम्प द्वारा तेल-कूप (oil-sump) से तेल खींचा जाता है जो 200 से 400 kPa दाब के अन्तर्गत मुख्य मार्ग या गैलरी-G से होकर अनेक छोटी पाइपों (leads) तक जाता है। मुख्य गैलरी से कुछ तेल-बॅक शाफ्ट के मेन बेयरिंगों को सप्लाई होता है जहाँ से तेल की कुछ मात्रा संयोजक दंड के बड़े सिरे (big end bearing) तक तिरछे-छिद्रों से होकर पहुँचती है जैसा कि चित्र में टूटी-रेखाओं में दिखाया गया है, बड़े-सिरे बेयरिंग से तेल की कुछ मात्रा छोटे सिरे-बेयरिंग तक संयोजक-दण्ड में बने छिद्र के माध्यम से पहुँचती है।
छोटे-सिरे-बेयरिंग से यह तेल फिर गजन-पिन बेयरिंगों और पिस्टन तक पहुँचता है। अधिकतर इंजनों में अनेक मेन बेयरिंग तक तेल की पहुँच स्पलॉश विधि द्वारा भी होती है जो कि बॅक-वेब द्वारा तेल-कूप से(crank-web) उछाला जाता है।मुख्य गैलरी G से सम्बन्धित एक पृथक् गैलरी भी होती है जिससे होकर तेल की सप्लाई टाईमिंग-गियर (timing-gear), रॉकर-शाफ्ट (rocker-shaft) और कैम-शाफ्ट (cam-shaft) तक होती है, जैसाकि चित्र 11.61 में दिखाया गया है। मुख्य गैलरी के साथ तेल दाब गेज (oil pressurc gauge) भी लगी होती है। सभी पार्टस के स्नेहन के पश्चात् बचा हुआ तेल वापिस सम्प में आ जाता है और पुनः प्रयोग में लाया जाता है ।
पैट्रोयल स्नेहन (Petroil Lubrication)
इस विधि का इस्तेमाल दो स्ट्रोक इन्जनों में किया जाता है जो हल्के दुपहिये वाहनों (मोटर-साइकिल, स्कूटर आदि) पर लगे होते हैं। इन इन्जनों पर स्नेहन करने की आवश्यकता वाले भाग मुख्यतया पिस्टन, संयोजक दण्ड-क-शाफ्ट आदि होते हैं। इनमें वाल्व-गियर नहीं होते। दो स्ट्रोक इंजनों के बॅक-केस क्योंकि ईंधन वायु मिश्रण का सम्पीडन करने के लिये प्रयोग किये जाते हैं, इसलिये इनमें तेल-कूप नहीं बनाया जा सकता जैसा कि बलात् स्नेहन विधि में होता है । इन इंजनों में स्नेहन करने के लिये पैट्रोल इन्जनों में स्नेहन तेल की 3 से 6% मात्रा मिला दी जाती है।
इन्जन में जब पैट्रोल वाष्पित होता है तो स्नेहक तेल की बूंदे संयोजक दण्ड बेयरिंग, पिस्टन और बेयरिंग आदि पर गिरकर उनका स्नेहन करती हैं। स्नेहक तेल की मात्रा यदि कम रखी जाये । तो इंजन पर इसके दुष्परिणाम हो सकते हैं और इंजन खराब हो सकता है। इसके विपरीत तेल की अधिक मात्रा होने से निकास मार्ग में अधिक धुआं बनेगा, सिलिण्डर-हैड और निकास छिद्रों (exhaust ports) पर कार्बन का जमाव हो जायेगा। अत: स्नेहक-तेल का उचित मात्रा में मिलाया जाना आवश्यक है।
Cooling of I C Engines |अन्तर्दहन इंजनों का शीतलन & विधियाँ
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