what is shank drilling in hindi 2022
शैंक (Shank)
प्रश्न 1- शैंक किसे कहते हैं ?
उत्तर- यह ड्रिल का ही एक भाग है जो ड्रिल चक, साकेट या मशीन स्पिण्डल में फिट किया जाता है। यदि शैंक टेपर में बनी होती है तो उसे सीधे मशीन के स्पिण्डल में बांधा जाता है। और यदि शैंक सीधी बनी हो तो उसे ड्रिल चक में बाधा जाता है।
प्रश्न 2- शैंक के अनुसार ड्रिल कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर- शैंक के अनुसार ड्रिल चार प्रकार के होते हैं
- स्ट्रेट शैंक ड्रिल (Straight Shank Drill)
- टेपर गैंक ड्रिल (Taper Shank Drill)
- स्क्वायर टेपर शैंक (Square Taper Shank)
- बिट शैंक (Bit Shank)
प्रश्न 3- स्ट्रेट शैंक ड्रिल (Straight Shank Drill) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- इस प्रकार की शैंक प्रायः छोटे साइज के ड्रिल पर पाई जाती है। इसको सीधे मशीन के स्पिण्डिल में नहीं बांध सकते। इसका उपयोग ड्रिल चक की सहायता से कियाजाता है।
प्रश्न 4- टेपर शैंक ड्रिल किसे कहते हैं ?
उत्तर- इस प्रकार की शैंक प्रायः बड़े साइज के ड्रिल पर पाई जाती है। इसे सीधे मशीन के स्पिण्डिल के बांध कर प्रयोग में ला सकते हैं।
प्रश्न 5- स्क्वायर टेपर सेंक ड्रिल किसे कहते हैं ?
उत्तर- इस प्रकार भी शैंक चौकोर आकार की होती है जो ऊपर की ओर टेपर में बनी होती है । इस शैंक वाले ड्रिल का उपयोग रेचेट बेस के द्वारा किया जाता है।
प्रश्न 6- बिट शैंक (Bit Shank) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- यह शैंक भी रेचट बेस चक में ही पकड़ी जाती है। विट शैंक का अधिकतर कारपेन्टरी शाप में उपयोग किया जाता है। इसकी शैंक भी स्क्वायर टेपर की बनी होती है।
प्रश्न 7- व्यास के माप के अनुसार ड्रिल कितने प्रकार की होती हैं ?
उत्तर- व्यास के माप के अनुसार ड्रिल पाँच प्रकार की होती हैं
- फ्रैक्शन ड्रिल (Fraction Drill)
- मीट्रिक ड्रिल (Metric Drill)
- नम्बर ड्रिल (Number Drill)
- लैटर ड्रिल (Letter Drill)
- भारतीय स्टैण्डर्ड ड्रिल (I. S. I. Drill)
प्रश्न 8- फ्रक्शन ड्रिल से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- यह ड्रिल इंचों में पाये जाते हैं जो कि 1/64″ से 1″ तक 1/64″ के क्रम से बढ़ते हैं। जैसे 1/64″, 1/32″ | 1/64″ से 4″ तक अलग-अलग साइज तथा अलग-अलग रेंज (Range) में पाये जाते हैं।
प्रश्न 9- मीट्रिक ड्रिल किसे कहते हैं ?
उत्तर यह ड्रिल प्रायः मिलीमीटर में पाये जाते हैं जो प्रायः .5 मी.मी. से 10 मी.मी. तक 1 मि. मी. के क्रम से बढ़ते हैं। 5 मि. मी., 6 मि.मी., 7 मि. मी. इत्यादि। 10 मि. मी. से बड़े साइज के ड्रिल .5 मि. मी. के क्रम से बढ़ते हैं। जैसे 10.5 मि. मी., 11 मि.मी., 11.5 मि.मी. इत्यादि।
प्रश्न 10- नम्बर ड्रिल (Number Drill) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- यह ड्रिल नम्बरों में पाये जाते हैं जो 1 से 80 नम्बर तक होते हैं। 1 नम्बर का ड्रिल सब से बड़ा और 80 नम्बर का ड्रिल सबसे छोटा होता है 1 नम्बर के ड्रिल का साइज .228″ होता है और 80 नम्बर के ड्रिल का साइज .0135 होता है।
प्रश्न 11- लैटर ड्रिल (Letter Drill) किसे कहते हैं ?
उत्तर- यह ड्रिल अक्षरों में पाये जाते हैं जो A से Z तक होते हैं। A साइज का ड्रिल सबसे छोटा और Z साइज का ड्रिल सबसे बड़ा होता है। A ड्रिल का साइज .234″ होता है Z का साइज .413″ होता है। –
प्रश्न 12- भारतीय स्टैण्डर्ड ड्रिल किसे कहते हैं ?
उत्तर – यह ड्रिल मि. मी. साईज में होते हैं जो भारतीय स्टैण्डर्ड (I. S. I.) के अनुसार बनाये जाते हैं। इसमें स्ट्रेट शैंक ट्विस्ट ड्रिल 2 मि. मी. से 40 मि.मी. तक पाये जाते हैं और टेपर शैंक 3 मि. मी. से 100 मि. मी. तक पाये जाते हैं।
प्रश्न 13- लिप क्लीयरेंस क्या है ?
उत्तर- यह ड्रिल प्वाइंट की वह सतह है जो ड्रिल के कटिंग ऐज के पीछे निर्धारित कोण बनाती है।
प्रश्न 14- लिप कलीयरेंस ऐंगल कितना होता है ?
उत्तर- ड्रिल का लिप क्लियरेंस ऐंगल 50° से 120° होता है। –
प्रश्न 15- यदि ड्रिल का क्लियरेंस ऐंगल बहुत कम या बिल्कुल न हो तो ड्रिलिंग क्रिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर- ऐसी दशा में यह मैटल की कटाई नहीं करेगा और ड्रिल का प्वाइण्ट जलकर खराब हो जायेगा।
प्रश्न 16- ड्रिल में साफ्ट मैटल के लिए कितना कटिंग ऐंगल रखा जाता है ?
उत्तर- प्रायः नर्म मैटल (Soft Metal) का न्यून कोण रखा जाता है। (Softer the metal lesser the Angle) सिद्धांत पर कोण निर्भर करता है।
प्रश्न 17- यदि ड्रिल को तेज चाल पर चलाया जाए तो क्या होगा ?
उत्तर – ऐसी दशा में ड्रिल ओवरहीट (Drill overheat) हो जाता है जिससे ड्रिल का कटिंग एज खराब हो जाएगा तथा प्वाइण्ट भी खराब हो जाएगा।
प्रश्न 18- अधिक गहराई का सूराख करने के लिए कौन-सा ड्रिल प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर- अधिक गहराई के सुराख के लिए आयल ट्यूब ड्रिल (Oil Tube Drill) प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 19- डैड सेन्टर (Dead centre) किसे कहते हैं ?
उत्तर- ड्रिल का वेब (Web) नीचे से पतला और ऊपर की ओर मोटा होता है। इस प्रकार यदि ड्रिल करते-करते यह छोटा हो जाता है तो प्वाइन्ट को गाइड करते समय डैड सैंटर मोटा बन जाता है। जिससे यह ड्रिलिंग करते समय असानी से धातु में प्रवेश नहीं कर सकता। इसलिए डैड सैन्टर पतला करने की आवश्यकता पड़ती है जिसे उन्नतोदर ग्राइंडिंग व्हील से ग्राइंडिंग करके पतला किया जा सकता है। इससे ड्रिल आसानी से जॉब में प्रवेश कर सकता है।
प्रश्न 20- ड्रिलिंग करते समय कौन-कौन सी सावधानियों का प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर- ड्रिलिंग करते समय निम्नलिखित सावधानियों का प्रयोग करना चाहिए
- यदि 1/2 इंच से अधिक ड्रिल करना हो तो पहले एक छोटा सा ड्रिल होल कर लेना चाहिए जिससे होल करने में आसानी होती है।
- ड्रिल करने से पहले ड्रिल का साइज तथा लिप्स चैक कर लेना चाहिए।
- ड्रिल के दोनों कटिंग लिप एक समान होने चाहिएं।
- ड्रिल का कटिंग तथा लिप क्लियरेन्स कोण धातु के अनुसार ग्राइण्ड होना चाहिए।
- आर-पार सूराख करते समय ड्रिल जब धातु के दूसरे किनारे पर पहुंचने लगे तो फीड का के दबाव कम कर देना चाहिए।
- ड्रिल के प्वाइन्ट को जलने से बचाने के लिए शीलत जल का प्रयोग करना चाहिए।
- पतली चादर पर छेद करते समय लकड़ी का पैकिंग रख लेना चाहिए ताकि छिद्र करते समय शीट मुड़ न जाये।
- ड्रिल चक या स्लीव को निकालने के लिए ड्रिफ्ट का उपयोग करना चाहिए।
- कार्य समाप्ति पर मशीन को अच्छी प्रकार साफ कर देना चाहिए।
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