पंच (Punch) कितने प्रकार (Types)के होते है
परिचय (Introduction) -जब कोई जॉब बनाया जाता है तो जॉब बनाने के लिए पहले उस पर मार्किंग मीडिया लगाया जाता है और ड्राइंग के अनुसार मार्किंग की जाती है कार्य करते समय बार-बार जॉब को छूने से मार्किंग मिट सकती है। इसलिए की हुई मार्किंग को स्थाई बनाने की आवश्यकता होती है। इसके लिए एक टूल प्रयोग में लाया जाता है जिसे पंच (Punch) कहते हैं। पंच के द्वारा मार्किंग की हुई लाइनों पर डॉट चित्र 12 पंच (Punch) लगा दिये जाते हैं जिससे की हुई मार्किंग जॉब बनाने के अंतिम समय तक दिखाई दे सकती है।
इसकी बॉडी अष्टभुज आकार की होती है या उसको बेलनाकार बनाकर नर्लिंग (Knurling) कर दिया जाता है। इसकी बनावट में निम्नलिखित भाग होते है-
(i) हैड
(ii) बाडी
(iii) प्वाइंट।.
मेटीरियल (Material) -पंच प्रायः हाई कार्बन स्टील के बनाये जाते हैं और इनके प्वाइंट को हार्ड व टेम्पर कर दिया जाता है।
साइज (Size) -पंच का साइज इसकी पूरी लंबाई और इसके व्यास (Diameter) से लिया जाता है। जैसे पंच 150 x 12.5 मि.मी.।

पंच (Punch) कितने प्रकार (Types)के होते है –
1. डॉट पंच (Dot Punch)– इस प्रकार के पंच के प्वाइंट को 60° के कोण में ग्राइंड करके बनाया जाता है। इसका प्रयोग मार्किंग करने के पश्चात् लाइनों पर डॉट लगा कर उन्हें स्थायी करने के लिए किया जाता है।
2. सेंटर पंच (Centre Punch)-इसके प्वाइंट को 90° के कोण में ग्राइंड करके बनाया जाता है। इसका मुख्य प्रयोग ड्रिल होल करने के लिए उसके सेंटर प्वाइंट की पंचिंग करने के लिए किया जाता है क्योंकि कटिंग ऐंगल बड़ा होता है इसलिए जो डॉट लगया जायेगा वह कुछ बड़े आकार का और अधिक गहरा लगेगा जिससे ड्रिल का वैब (Web) उसमें आसानी से बैठ जायेगा। इस प्रकार ड्रिल होल सेंटर में होगा और आउट नहीं हो पायेगा।
3. प्रिक पंच (Prick Punch)-इसके प्वाइंट को 30° के कोण में ग्राइंड करके बनाया जाता हैं। इसका प्रयोग प्रायः नर्म धातु के जॉब पर की हुई मार्किंग की लाइनों को डाट लगाकर स्थाई करने के लिए किया जाता है। जैसे तांबा, पीतल, एल्युमीनियम के जॉब इत्यादि।
4.ऑटोमेटिकपंच (Automatic Punch) -इस प्रकार का पंच एक प्रकार का आधुनिक पंच है जिसका प्रयोग करते समय मार्किंग हैमर से चोट लगाने की अवश्यकता नहीं होती। इसमें एक स्प्रिंग होती है और एक नर्लिंग (Knurling) की हुई कैप। यदि गहरा पंच लगाना हो तो कैप को घुमा कर नीचे की ओर कर दिया जाता है। पंचिंग करते समय इसको हाथ से दबाव डाला जाता है जिससे स्प्रिंग की सहायता से पंच का निशान लग जाता है। इसका प्वाइंट कार्य के अनुसार 90° या 60° के कोण में हो सकता है।
सावधानियां (Precautions)
पंच (Punch) कितने प्रकार (Types)के होते है
1. पंच का प्वाइंट तेज धार वाला (Sharp) होना चाहिए।
2. लगे हुए डाट्स के बीच की दूरी न बहुत अधिक हो न बहुत कम। यह दूरी 3 से 6 मि.मी. तक रखी जा सकती है।
3. सेंटर पंच का प्रयोग करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पंच को सेंटर व गहराई में लगना चाहिए जिससे ड्रिल होल ठीक सेंटर में किया जा सके।
4. यदि किसी पंच का प्वाइंट खराब हो गया है तो उसका प्रयोग नहीं करना चाहिए बल्कि उसको दुबारा ग्राइंड करके प्रयोग में लाना चाहिए।
5. यदि किसी पंच का हैड छत्रक (Mushroom) अर्थात् खराब हो गया हो तो उसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
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