What is Projection ? How many types of projection
प्रक्षेपका सिद्धान्त ( Theory of Projection )
परिचय Introduction
इस अध्याय के पाठ्य (text) के सन्दर्भ में समझने वाली बात यह है कि दो से अधिक विमाओं वाली वस्तुओं (objects) या ठोसों (solids) की आकृति आरेखन कागज पर सीधे-सीधे नहीं खींची जा सकती क्योंकि दो विमाओं वाली समतल आकृतियों (plane figures) की आरेखन कागज पर सीधे प्रकट की हुई आकृतियों में उनकी सतह के विभिन्न बिन्दुओं की सापेक्ष स्थिति ठीक-ठीक नापी जा सकती है What is Projection ? How many types of projection 2021
लेकिन तीन विमाओं वाले ठोस की सीधे व्यक्त की गई आकृति में उसकी सतह के अनेक बिन्दुओं के सापेक्ष दूरी व स्थिति वस्तु से सीधे नापी जा सकती है। अत: तीन विमाओं वाले ठोस के दो या तीन चित्रण खींचे जा सकते हैं। उसके बाद इन चित्रों की सहायता से ठोस के सही आकार की कल्पना की जा सकती है। यही प्रक्षेप का सिद्धान्त है।
जब किसी वस्तु के समस्त बाह्य बिन्दुओं से किसी समतल पर सीधी रेखाएँ खींची जाएँ तो वे उस समतल पर विभिन्न बिन्दुओं पर मिलती हैं। समतल या प्रक्षेप तल पर प्राप्त इन सभी बिन्दुओं को क्रमशः मिलाने पर प्राप्त आकृति, वस्तु का प्रक्षेप कहलाती है
अर्थात्
“Projection is the representation of the object on the picture plane viewed by an observer from some distance."
प्रत्येक ठोस या वस्तु के आरेखन में विभिन्न तत्त्व होते हैं जिन्हें प्रक्षेप के तत्त्व (elements of projection) कहते हैं, जो निम्नलिखित
A. वस्तु (Object),
B. प्रक्षेपी (Projector),
C. प्रक्षेप तल (Plane of projection) तथा
D. दृष्टा (Observer) या प्रेक्षक।
प्रक्षेपों का वर्गीकरण Classification of Projections
प्रक्षेपों सम्बन्धी विभिन्न तत्त्वों को ध्यान में रखते हुए भी उनको वर्गीकृत किया जाता है, जो निम्न प्रकार हैं
केन्द्रीय प्रक्षेप Perspective Projection
चित्र के अनुसार केन्द्रीय प्रक्षेप में दर्शक (eye) प्रक्षेप तल तथा वस्तु से निश्चित दूरी पर होता है तथा प्रक्षेप में प्रक्षेपी (projector) आपस में एक-दूसरे के असमान्तर होते हैं तथा दृष्टि बिन्दु पर मिलते हैं। जब प्रक्षेप तल (plane of projection), दृष्टि बिन्दु तथा वस्तु (object) के बीच में होता है तो पारदर्शी प्रक्षेप तल पर वस्तु का प्रक्षेप उसके वास्तविक आकार की अपेक्षा छोटा बनता है और जब वस्तु, दृष्टि बिन्दु तथा प्रक्षेप तल के मध्य स्थित हो तो दर्शक को वस्तु का प्रक्षेप, प्रक्षेप तल पर उसके आकार की अपेक्षा बड़ा दिखेगा।
केन्द्रीय प्रक्षेप भी निम्न प्रकार के होते हैं
रेखीय केन्द्रीय प्रक्षेप Linear Perspective Projection
यह प्रक्षेप भी विभिन्न प्रकार का होता है
A. एकल बिन्दु प्रक्षेप (Single point projection),
B. द्वि-बिन्दु प्रक्षेप (Two-point projection) तथा
C. त्रि-बिन्दु प्रक्षेप (Three-point projection)।
काल्पनिक केन्द्रीय प्रक्षेप Aerial Perspective Projection
इस प्रकार के प्रक्षेपों की केवल कल्पना की जाती है।
समान्तर प्रक्षेप Parallel Projectionजेब दृष्टा (observer), प्रक्षेप तल तथा वस्तु से अनन्त (infinite) की दूरी पर स्थित हो तो किरणे या प्रक्षेपी (projectors) आपस में एक-दूसरे के समान्तर होंगे तथा प्रक्षेप तल पर लम्बवत् टकराएँगे। अत: इस प्रकार बने प्रक्षेप को समान्तर प्रक्षेप कहते हैं। ये मुख्यत: निम्न प्रकार के होते हैं
चित्रीय प्रक्षेप Pictorial Projection
केन्द्रीय प्रक्षेप के समान जब किसी प्रक्षेप तल पर किसी वस्तु का प्रक्षेपण ऐसे प्रक्षेपियों (projectors) के द्वारा किया जाए जो अनन्त दूरी पर रखे स्रोत (source) से आ रहे हों तथा परस्पर समान्तर हों तो ऐसे प्रक्षेप को चित्रीय प्रक्षेप कहते हैं। ये निम्न प्रकार के होते हैं
तिर्यक प्रक्षेप Oblique Projection
तिर्यक प्रक्षेप में एक ही दृश्य में वस्तु (object) की स्थिति की पूरी जानकारी प्राप्त हो जाती है। वस्तु की वास्तविक मापें (actual dimensions) इस प्रक्षेप में प्रदर्शित करना आवश्यक नहीं होता है। इनमें प्रक्षेपी आपस में समान्तर रहते हैं (चित्र में) तथा प्रक्षेप समतल (projection plane) से कुछ झुके हुए रहते हैं।
इसमें वस्तु की एक कोर ऊर्ध्वाधर (vertical), दूसरी कोर क्षैतिज (horizontal) तथा तीसरी कोर क्षैतिज से 30°, 45° या 60° के कोण पर होती है लेकिन ज्यादातर को 45° पर झुकी हुई रखते हैं। ये भी निम्न प्रकार के होते हैं
- कैबिनेट या छोटा तिर्यक प्रक्षेप,
- अश्वारोही तिर्यक प्रक्षेप,
- छाया तथा प्रतिबिम्ब तिर्यक प्रक्षेप।
- क्लीनोग्राफिक तिर्यक प्रक्षेप तथा
तन्त्रिकाक्ष प्रक्षेप Axonometric Projection
तन्त्रिकाक्ष प्रक्षेप में प्रक्षेपी, प्रक्षेप तल के लम्बवत् (perpendicular) होते हैं जबकि तिर्यक प्रक्षेप में प्रक्षेपी, प्रक्षेप तल से झुके (inclined) होते हैं। ये भी निम्न प्रकार के होते हैं1
(i) समपरिमाण प्रक्षेप,
(ii) द्विसम परिमाण प्रक्षेप तथा
(iii) त्रिसम परिमाण प्रक्षेप।
Drawing Instruments and Conventional Lines |ड्राइंग उपकरण तथा सांकेतिक रेखाएँ
समपरिमाण प्रक्षेप ( Isometric Projection )
इस प्रकार के प्रक्षेप में भी एक ही दृश्य में वस्तु की स्थिति की पूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाती है। इनमें भी प्रक्षेपी परस्पर समान्तर रहते हैं। इनमें तीन समपरिमाण अक्ष (isometric axis) होती हैं, जो प्रक्षेप तल पर परस्पर 120° के कोण पर रहते हैं तथा क्षैतिज से 30° के कोण पर रहते हैं। प्रेक्षक सदैव अनन्त पर रहता है। इस प्रक्षेप पर वस्तु की लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई आदि प्रकट रहती है।
लम्बकोणीय प्रक्षेप Orthographic Projection
जब प्रक्षेपी (projectors) आपस में समान्तर होने के साथ-साथ प्रक्षेप तल (plane of projection) के लम्बवत् भी होते हैं तो इस प्रकार के प्रक्षेप को लम्बकोणीय (orthographic) प्रक्षेप कहते हैं।
वस्तु को पूर्ण रूप से व्यक्त करने के लिए वस्तु के दो या तीन दृश्य खींचे जाते हैं। प्रक्षेप तलों (planes of projection) पर बने इन दृश्यों से ही वस्तु के वास्तविक आकार तथा माप की कल्पना की जाती है। मुख्यत: वस्तु के दो दृश्य; सम्मुख तथा अनुविक्षेप; ही बहुत होते हैं लेकिन कठिन संरचना वाली वस्तुओं के लिए तीन दृश्य; सम्मुख, अनुविक्षेप तथा पार्श्व; बनाए जाते हैं।
वस्तुओं के लम्बकोणीय प्रक्षेप प्राप्त करने के लिए मुख्यतः दो प्रक्षेप तलों की कल्पना की जाती है। ये प्रक्षेप तल आपस में लम्बवत् होते हैं तथा दोनों प्रक्षेप तलों को सन्दर्भ तल (reference planes) कहते हैं। इन तलों में क्रमश: क्षैतिज तल (HP), ऊर्ध्वाधर तल (VP) तथा पार्श्व तल (SP) होते हैं।
क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर तल आपस में जिस रेखा पर मिलते हैं उसे सन्दर्भ रेखा (reference line) कहते हैं और इस रेखा को x.yरेखा से प्रदर्शित (denote) करते हैं। वस्तु को ऊपर से देखने पर क्षैतिज तल (HP) पर प्राप्त प्रक्षेप को अनुविक्षेप या ऊपरी दृश्य (plan or top view) कहते हैं।
वस्तु को सामने से देखने पर ऊर्ध्वाधर तल (VP) पर प्राप्त वस्तु के प्रक्षेप को उत्सेध या सम्मुख दृश्य (elevation or front view) कहते हैं। वस्तु का पार्श्व दृश्य (side view) प्राप्त करने के लिए सहायक ऊर्ध्वाधर तल (auxiliary vertical plane) की कल्पना की जाती है।
वस्तु को बाएँ तथा दाएँ पार्श्व से देखने पर सहायक ऊर्ध्वाधर तल (AVP) पर प्राप्त दृश्य को (चित्र में) क्रमश: बायाँ पार्श्व दृश्य (left hand side view) तथा दायाँ पार्श्व दृश्य (right hand side view) कहते हैं।
चतुर्थांश Quadrants
चित्र के अनुसार जब चारों चतुर्थांश सन्दर्भ तलों (reference planes) को परस्पर लम्बवत् बढ़ाते हुए चार खण्डों में विभक्त करते हैं तो इस प्रकार हमै चार चतुर्थांश प्राप्त होते हैं। प्रत्येक खण्ड को क्रमश: प्रथम, द्वितीय, तृतीय तथा चतुर्थ चतुर्थांश कहते हैं।
प्रक्षेप HP के ऊपर प्रक्षेप HP के ऊपर तथा VP के सामने VP तथा VP के पीछे प्रथम सन्दर्भ रेखा चतुर्थांश दक्षिणावर्त द्वितीय HP चतु० HP दक्षिणावर्त तृतीय चतुर्थांश चतुर्थ चतुर्थांश प्रक्षेप Hp के नीचे तथा VP के सामने प्रक्षेप HP के नीचे तथा VP के पीछे VP चित्र चतुर्थांश
प्रथम चतुर्थांश में वस्तु क्षैतिज तल (HP) से ऊपर तथा ऊर्ध्वाधर तल (VP) के सामने स्थित होती है। द्वितीय चतुर्थांश में वस्तु क्षैतिज तल (HP) से ऊपर तथा ऊर्ध्वाधर तल (VP) के पीछे स्थित होती है। तृतीय चतुर्थांश में वस्तु क्षैतिज तल से नीचे तथा ऊर्ध्वाधर तल के पीछे स्थित होती है।
चतुर्थ चतुर्थांश में वस्तु क्षैतिज तल से नीचे तथा ऊर्ध्वाधर तल के सामने स्थित होती है। सभी प्रक्षेप तलों को पारदर्शी (transparent) मानते हुए वस्तुओं के प्रक्षेप उसके ऊपर से, सामने से तथा पार्श्व से देखकर बनाने चाहिए। वस्तु के प्रक्षेपों का आरेख, कागज पर खींचने के लिए प्रक्षेपों का एक ही तल में होना आवश्यक है।
इसलिए प्रक्षेपों को एक तल (plane) में लाने के लिए क्षैतिज तल (HP) को घड़ी की सुई की दिशा (clockwise) में घुमाकर ऊर्ध्वाधर तल की सीध में लाते हैं तथा पुन: दोनों को 90° घुमाकर दृष्टा (observer) के सामने लाते हैं जिसके फलस्वरूप प्रथम चतुर्थांश में क्षैतिज तल व ऊर्ध्वाधर तल X-Y रेखा के क्रमश: नीचे तथा ऊपर हो जाते हैं तथा तृतीय चतुर्थांश में इसके विपरीत क्षैतिज तल ऊपर व ऊर्ध्वाधर तल नीचे हो जाता है।
द्वितीय चतुर्थांश (second quadrant) में क्षैतिज तल को घड़ी की सुई की दिशा में घुमाते हुए ऊर्ध्वाधर तल (VP) की सीध में लाने पर क्षैतिज तल व ऊर्ध्वाधर तल X-Y रेखा से ऊपर हो जाते हैं जबकि चतुर्थ चतुर्थांश में इसके विपरीत X–Y रेखा से नीचे हो जाते हैं।
द्वितीय व चतुर्थ चतुर्थांश में क्षैतिज तल व ऊर्ध्वाधर तल एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाने (overlap) के कारण इनमें वस्तु के लम्बकोणीय प्रक्षेप नहीं खींचे जाते। इस प्रकार इंजीनियरिंग आरेखन में वस्तु के लम्बकोणीय प्रक्षेप प्रथम और तृतीय चतुर्थांश में खींचे जाते हैं जिनको निम्न नामों से पुकारा जाता है
प्रथम कोणीय प्रक्षेप First Angle Projection
चित्र के अनुसार वस्तु को प्रथम चतुर्थांश में स्थित मानते हैं। इस प्रकार वस्तु को ऊर्ध्वाधर तल के सामने और क्षैतिज तल (HP) के ऊपर स्थित मानकर प्रक्षेपित किया जाता है तथा साथ ही वस्तु, दर्शक और प्रक्षेप तल के बीच में स्थित होती है।
जब दर्शक वस्तु को ऊर्ध्वाधर तल (VP) के सामने से देखता है तो VP पर प्राप्त वस्तु का प्रक्षेप उत्सेध या सम्मुख दृश्य कहलाता है तथा जब दर्शक वस्तु को HP के ऊपर से देखता है तो क्षैतिल तल (HP) पर वस्तु का प्रक्षेप अनुविक्षेप या ऊपरी दृश्य (plan or top view) कहते हैं।
इसी प्रकार जब दर्शक वस्तु को उसके पार्श्व से देखता है तो सहायक ऊर्ध्वाधर तल (AVP) पर प्राप्त प्रक्षेप दायाँ या बायाँ पार्श्व दृश्य (right or left view) कहलाता है। चित्र में एक ठोस-टी (solid-tee) के तीनों दृश्य दर्शाए गए हैं।
तृतीय कोणीय प्रक्षेप (Third Angle Projection)
चित्र के अनुसार वस्तु को तृतीय चतुर्थांश में रखकर प्रक्षेप बनाते हैं। इसमें वस्तु HP से नीचे तथा VP के पीछे रखी जाती है। प्रक्षेप तल, वस्तु तथा दर्शक के बीच में स्थित होता है। चित्र के अनुसार वस्तु के प्रक्षेप बनते हैं तथा इन प्रक्षेपों को एक तल में लाने के लिए चित्र के अनुसार वस्तु का अनुविक्षेप (plan) X-Y रेखा से ऊपर तथा उत्सेध (elevation) X-Y रेखा से नीचे, बायाँ पार्श्व दृश्य उत्सेध elevation) की सीध में बाईं ओर तथा दायाँ पार्श्व दृश्य दाईं ओर खींचते हैं। तृतीय चतुर्थांश में खींचे गए प्रक्षेप उसी दिशा में बनते हैं, जस दिशा से वस्तु देखी गई हो।
उदाहरण वस्तु के ऊपर से देखा गया दृश्य XY रेखा से ऊपर बनता है तथा सामने से देखा गया दृश्य XY रेखा से बनता है। बाईं ओर का दृश्य सम्मुख दृश्य की सीध में बाईं ओर तथा दायाँ पार्श्व दृश्य दाईं ओर बनता है।
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Ans -“Projection is the representation of the object on the picture plane viewed by an observer from some distance.”
Ans – जब किसी वस्तु के समस्त बाह्य बिन्दुओं से किसी समतल पर सीधी रेखाएँ खींची जाएँ तो वे उस समतल पर विभिन्न बिन्दुओं पर मिलती हैं। समतल या प्रक्षेप तल पर प्राप्त इन सभी बिन्दुओं को क्रमशः मिलाने पर प्राप्त आकृति, वस्तु का प्रक्षेप कहलाती है
Ans – प्रक्षेपों सम्बन्धी विभिन्न तत्त्वों को ध्यान में रखते हुए भी उनको वर्गीकृत किया जाता है, जो निम्न प्रकार हैं
1-केन्द्रीय प्रक्षेप Perspective Projection
2-रेखीय केन्द्रीय प्रक्षेप Linear Perspective Projection
3-काल्पनिक केन्द्रीय प्रक्षेप Aerial Perspective Projection
4-चित्रीय प्रक्षेप Pictorial Projection
5-तिर्यक प्रक्षेप Oblique Projection
6-तन्त्रिकाक्ष प्रक्षेप Axonometric Projection
7-समपरिमाण प्रक्षेप ( Isometric Projection )
8-लम्बकोणीय प्रक्षेप Orthographic Projection
Ans – इस प्रकार के प्रक्षेप में भी एक ही दृश्य में वस्तु की स्थिति की पूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाती है। इनमें भी प्रक्षेपी परस्पर समान्तर रहते हैं। इनमें तीन समपरिमाण अक्ष (isometric axis) होती हैं, जो प्रक्षेप तल पर परस्पर 120° के कोण पर रहते हैं तथा क्षैतिज से 30° के कोण पर रहते हैं। प्रेक्षक सदैव अनन्त पर रहता है। इस प्रक्षेप पर वस्तु की लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई आदि प्रकट रहती है।
Ans – जब प्रक्षेपी (projectors) आपस में समान्तर होने के साथ-साथ प्रक्षेप तल (plane of projection) के लम्बवत् भी होते हैं तो इस प्रकार के प्रक्षेप को लम्बकोणीय (orthographic) प्रक्षेप कहते हैं।
Ans – चित्र के अनुसार वस्तु को प्रथम चतुर्थांश में स्थित मानते हैं। इस प्रकार वस्तु को ऊर्ध्वाधर तल के सामने और क्षैतिज तल (HP) के ऊपर स्थित मानकर प्रक्षेपित किया जाता है तथा साथ ही वस्तु, दर्शक और प्रक्षेप तल के बीच में स्थित होती है जब दर्शक वस्तु को ऊर्ध्वाधर तल (VP) के सामने से देखता है तो VP पर प्राप्त वस्तु का प्रक्षेप उत्सेध या सम्मुख दृश्य कहलाता है तथा जब दर्शक वस्तु को HP के ऊपर से देखता है तो क्षैतिल तल (HP) पर वस्तु का प्रक्षेप अनुविक्षेप या ऊपरी दृश्य (plan or top view) कहते हैं।
Ans – चित्र के अनुसार वस्तु को तृतीय चतुर्थांश में रखकर प्रक्षेप बनाते हैं। इसमें वस्तु HP से नीचे तथा VP के पीछे रखी जाती है। प्रक्षेप तल, वस्तु तथा दर्शक के बीच में स्थित होता है। चित्र के अनुसार वस्तु के प्रक्षेप बनते हैं तथा इन प्रक्षेपों को एक तल में लाने के लिए चित्र के अनुसार वस्तु का अनुविक्षेप (plan) X-Y रेखा से ऊपर तथा उत्सेध (elevation) X-Y रेखा से नीचे, बायाँ पार्श्व दृश्य उत्सेध elevation) की सीध में बाईं ओर तथा दायाँ पार्श्व दृश्य दाईं ओर खींचते हैं। तृतीय चतुर्थांश में खींचे गए प्रक्षेप उसी दिशा में बनते हैं, जस दिशा से वस्तु देखी गई हो।