Vernier Bevel Protractor in hindi

Q.1 वर्नियर कैलीपर किसे कहते है ?
Q .2 वर्नियर कैलीपर किस धातु का बना होता है ?
Q .3 वर्नियर कैलीपर का अविष्कार किसने किया था।

Q .4 वर्नियर क्या होता है ?
Q .5 वर्नियर कैलीपर का लीस्ट काउंट (Least Count) कितना होता है
Q .6 वर्नियर कैलीपर कितने प्रकार के होते है ?
Q .7 Vernier Caliper in hindi

वर्नियर बैवल प्रोट्रैक्टर (Vernier Bevel Protractor)

जैसाकि हम जानते हैं कि प्रोट्रैक्टर हैड द्वारा हम किसी कोण को 1° की परिशुद्धता तक जाँच या मार्क कर सकते हैं। इससे अधिक परिशुद्धता में किसी कोण को जाँचने या मार्क करने के लिए वर्नियर बैवल प्रोट्रैक्टर का प्रयोग करते हैं। यह भी वर्नियर के सिद्धांत पर बनाया गया है। इसके द्वारा किसी भी टेपर या कोणीय जॉब के कोण 1° के 12वें भाग अर्थात् 5 मिनट की सूक्ष्मता में माप सकते हैं। (चित्र 15)।

Vernier Bevel Protractor in hindi

Vernier Bevel Protractor in hindi

सिद्धांत (Principle)

वर्नियर बैवल प्रोट्रैक्टर भी दो अनुरूप स्केलों के अन्तर पर आधारित होता है जिसमें एक डिस्क स्केल तथा दूसरी वर्नियर लगी होती है। इसके भाग निम्नलिखित हैं

1. ब्लेड (Blade)

2. डिस्क या डायल स्केल (Disk or Dial Scale)

3. स्टॉक (Stock)

4. स्विवल प्लेट (Swivelplate) 

5. वर्नियर स्केल (Vernier Scale) 

6, स्विवल प्लेट लॉकिंग स्कू (Swivel Plate Locking Screw) 

7. ग्लेड लॉकिंग स्क्रू (Blade Locking Screw) 

8. न्यूनकाण एटैचमैट (Acute Angle Attachment)

Vernier Bevel Protractor in hindi

1. ब्लेड (Blade) – यह हाई कार्बन स्टील या एलॉय स्टील का हार्ड, टेम्पर एवं ग्राइंड किया होता है। इसके मध्य में लम्बाई की तरफ एक झिरीं कटी होती है। ये ब्लोड 150 मिमी. से 300 मिमी. लम्बे, 12 मिमी. चौड़े और लगभग 2 मिमी. मोटे होते हैं। ब्लेड के किनारे 45° व 60° पर बने होते हैं। 

2. डिस्क या डायल स्कोल ( Disc or Dial Seale) –यह बैवल प्रोट्रैक्टर का मुख्य अंग है। यह गोलाकार होता है तथा इसके एक किनारे पर स्टॉक बना होता है। इसके गोलाकार परिधि पर एक-एक डिग्री के 360 निशान होते हैं। स्टॉक के समानान्तर आने वाली रेखा को 0 मानकर 0° से 90° दाएँ और बाएँ अंकन किया होता है। इस प्रकार 360° के चिन्हों को 4 बार । जैसे 09-90°, 90°-09, 0-90° और 90°-0° में बाँटा होता है।

3. स्टॉक (Stock) – यह बनावट में आयताकार होता है। इसके बीच में झिरी कटी होती है। स्टॉक तथा गोल डिस्क एक ठोस स्टील में से निकाले जाते हैं। इसको जॉब की सतह के साथ सटा कर और ब्लेड को दूसरी सरफेस से सटाकर जॉब के कोण को जाँच या मार्क कर सकते हैं। 

4. स्विवल प्लेट (Swivel Plate) – गह डिस्क या डायल प्लेट के बीच में लगे धुरी स्क्रू पर चारों ओर घूमती है और स्विवल प्लेट को लॉकिंग स्क्रू द्वारा कस सकते हैं। इस पर वर्नियर स्केल लगी होती है और दूसरी साइड पर असैन्ट्रिक लॉकिंग डिवाइस (Eccentric Locking Device) द्वारा ब्लेड को कसते हैं। इस डिवाइस को ब्लेड लॉकिंग स्क्रू के नाम से जाना जाता है।

5. वनि घर केल (Vernier Scale) – ये स्विवल प्लेट पर दो पेंचों द्वारा कसी होती है। इसके मध्य में शून्य रेखा होती है और इस शून्य रेखा के दाईं और बाई और 12-12 रेखाएं खिंधी होती हैं और हर रेखा 1 के 12वें भाग अर्थात् 5 मिनट की परिशुद्धता को दर्शाती है। यही इसका न्यूनतम (Least Count) माप है (चित्र 16)।

6. न्यूनकोण एटैचमैंट (Acute Angle Attachmenty) यह एक आयताकार 100 मि.मी. लम्बी पत्ती होती है। जिसे स्टॉक के सिरे पर ड्रॉ बोल्ट द्वारा कस लेते हैं। इसका प्रयोग दो तरफा टेपर वाले जॉब को जाँचने के लिए किया जाता है। इसे साहयक ब्लेड भी कहते हैं।

 7. चित्रांकन ग्रेजुएशन (Graduation) – डिस्क या डायल स्केल की परिधि पर एक डिग्री के 360 निशान अंकित किए होते हैं तथा स्टॉक के समकोण पर आने वाली रेखा को 90° मान कर 90° 0 दाएँ व बाएँ आंकन किया होता है। इस प्रकार 360° को चार (4) बराबर भागों में जैसे 0°-90°, 90°-0°, 09-90° और 90°-0° में बाँटा होता है। इसमें हर दसवीं रेखा लम्बी होती जिसको 0°, 10°, 20°, 30°, 40°, 50°, 60°, 70%, 80° एवं 90° से मार्क किया होता है।

मेन स्केल के 23 भागों के बराबर की दूरी को वर्नियर स्केल के 12 बराबर भागों में बाँटा होता है तथा हर तीसरे भाग को 0, 15, 30, 45, और 60 से अंकित किया होता है अर्थात् वर्नियर स्केल पर 0-12 दाएँ-बाएँ रेखाएँ अंकित होती हैं। इस प्रकार जब वर्नियर की शून्य रेखा मेन स्केल की शून्य रेखा से मिलती है तो वर्नियर की पहली रेखा मेन स्केल की दूसरी रेखा के नज़दीक होती है।

वर्नियर बैवल प्रोट्रैक्टर का अल्पमाप (Least Count)

अल्पमाप (Least Count) – क्योकि वेर्नियर के 12 भाग = मेन स्केल के 23°

Vernier Bevel Protractor in hindi
Vernier Bevel Protractor in hindi

वेर्नियर के 12 भाग = 23°/12

= 23 × 60/12

= 115 मिनट

मेन स्केल के २भाग = 2° अथार्त 2 × 60 = 120 मिनट

अल्प माप = 120 -115 =5 मिनट

वर्नियर डैप्थ गेज (Vernier Depth Gauge)

साधारण वर्नियर कैलीपर्स में भी एक गहराई मापने के लिए स्ट्रिप लगी होती है। ठीक उसी प्रकार की संरचना का एक वर्नियर डैप्थ गेज होता है, जिसको हम किसी जॉब की गहराई या उसके बोर (bore) की लम्बाई मापने के काम में लाते हैं। अन्य वर्नियर कैलीपों के समान उसकी अल्पतम माप (least count) भी 0.001″ या 0.02 मिमी होती है तथा इसकी रीडिंग लेने का तरीका भी समान है।

वर्नियर डैप्थ गेज के हैड में ही एक बेस जुड़ा होता है, जिसमें एक मोटी स्टील स्ट्रिप का बना हुआ स्टील रूल स्लाइड करता है। इस स्टील रूल पर मिमी या इंचों में मार्किंग की गई होती है। हैड के साथ में एक फाइन एडजस्टमेन्ट यूनिट (fine adjustment unit) लगी होती है, जिसको किसी भी स्थान पर लॉक (lock) करने के लिए एक क्लैम्पिंग स्क्रू लगा होता है। वर्नियर डैप्थ गेज चित्र में दर्शाया गया है।

किसी जॉब की गहराई मापने के लिए हैड में लगे बेस (base) को हम जॉब के फेस (face) पर टिकाकर रखते हैं। अब मेन स्केल वाली स्ट्रिप को हैड के अन्दर से धकेल कर जॉब की कैविटी (cavity) या गहराई में अन्दर तक जाने देते हैं। यहाँ यह ध्यान रखना आवश्यक है कि डैष्य गेज का बेस, जॉब के फर्श के ऊपर न उठे। अब वर्नियर स्केल की माप लेकर उसे अल्पतम माप से से गुणा करके, मेन स्केल की माप में जोड़ लेते हैं। इस प्रकार डेप्थ गेज से किसी भी जॉब की गहराई  मापी जा सकती है।

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